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चिटफंड कंपनी फ्रॉड : 11 महीने में रकम दोगुनी करने का दिया झांसा और ठगे 90 लाख रुपये

शिकायतकर्ता ने बताया जब आरोपितों द्वारा बताए गए पते पर जबलपुर गए तो वहां दफ्तर नहीं मिला। उन्होंने बैंक अकाउंट के संबंधी जानकारी जुटाई तो अकाउंट फर्जी मिले। पुलिस ने केस दर्ज किया

By manoj kumarEdited By: Published: Sun, 28 Jul 2019 11:57 AM (IST)Updated: Sun, 28 Jul 2019 11:57 AM (IST)
चिटफंड कंपनी फ्रॉड : 11 महीने में रकम दोगुनी करने का दिया झांसा और ठगे 90 लाख रुपये
चिटफंड कंपनी फ्रॉड : 11 महीने में रकम दोगुनी करने का दिया झांसा और ठगे 90 लाख रुपये

हिसार, जेएनएन। 11 महीने में रकम दोगुनी होने के झांसे में आकर दो चिटफंड कंपनियों के खातों में रकम जमा कराना महंगा पड़ गया है। कैंट के पास की देवीलाल कालोनी के महाबीर प्रसाद और 44 अन्य लोगों की कंपनी ने 45 लोगों को 90 लाख रुपये की चपत लगा दी है।

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पुलिस ने शिकायत के आधार पर पानीपत के बराना निवासी निवासी देवेंद्र त्यागी और मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा निवासी भाई राकेश गुप्ता, उसकी पत्नी नीलम, उमेश कुमार, उसकी पत्नी गुड्डी, मनोज कुमार, उसकी पत्नी जूली तथा जबलपुर निवासी शिव प्रसाद सोलंकी व मिति के खिलाफ धोखाधड़ी और अमानत में खयानत करने का केस दर्ज किया है।

देवीलाल कालोनी निवासी महाबीर प्रसाद ने पुलिस को शिकायत देकर कहा कि वह एक्स सर्विसमैन है। उसकी मुलाकात पानीपत के गांव बराना निवासी देवंद्र त्यागी और मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा निवासी राकेश गुप्ता के साथ जून 2018 में ङ्क्षजदल चौक के पास एक होटल में हुई थी। उन्होंने बताया था कि हम परसु इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड और एस्पायर मेल मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाते हैं। ये कंपनी पंजीकृत हैं।

उन्होंने बताया था कि इन कंपनियों में रुपये जमा करवाकर आप 11 महीने में रकम दोगुनी कर सकते हैं। उसके बाद उन्होंने ने हिसार और हांसी के होटलों में कंपनी की कई मीटिंग अटेंड की। उन्होंने विश्वास दिलाकर कहा था कि हमारी कपंनी में आपकी रकम सुरक्षित रहेगी। उन्होंने बताया था कि देवेंद्र के पिता चार बार गांव के सरपंच रह चुके हैं। उन्होंने उनकी बातों पर यकीन कर कंपनी के अलग-अलग खातों में जून 2018 में 90 लाख रुपये जमा करवा दिए थे।

फर्जी आधार कार्ड पर खुलवाए थे बैंक अकाउंट

शिकायतकर्ता ने बताया कि मई महीने में रकम जमा कराए हुए 11 महीने पूरे हो गए। उन्होंने देवेंद्र और राकेश द्वारा दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो बात नहीं हुई। वे बाद में आरोपितों द्वारा बताए गए पते पर जबलपुर गए तो वहां दफ्तर नहीं मिला। उन्होंने बैंक अकाउंट के संबंध में जानकारी जुटाई। तब अकाउंट फर्जी मिले। बैंक की तरफ से उनको बताया गया कि वे अकाउंट फर्जी दस्तावेज पर खुलवाए गए थे। इसके बाद उनको ठगी का पता चला तो पुलिस को शिकायत दी।

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