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उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूर्ण हुआ छठ महोत्सव

अ‌र्घ्य के बाद व्रतियों ने सूर्य मंत्र से हवन किया गया। समिति की कानूनी सलाहकार अर्चना पाण्डेय ने बताया कि सभी लोगों ने अपने घरों में रहकर कोरोना के खात्मे के लिए छठ मइया से विशेष प्रार्थना की।

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 07:25 AM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 07:25 AM (IST)
उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूर्ण हुआ छठ महोत्सव
उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूर्ण हुआ छठ महोत्सव

जागरण संवाददाता, हिसार : पूर्वाचल जन कल्याण संगठन समिति के तत्वाधान में शनिवार सुबह सूर्योदय के समय पूर्वाचल के हजारों लोगों ने आसपास की नहरों पर जाकर व अपने-अपने घरों की छतों से सूर्य भगवान की आराधना की। साथ ही छठ मइया के भैरवी राग में गीत गाए।

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समिति के सचिव मुरलीधर पाण्डेय ने बताया कि सूर्य देव के दर्शन होते ही व्रती लोगों ने अ‌र्घ्य देना प्रारंभ किया। आचार्य शिवपूजन शास्त्री ने मोबाइल में ऑनलाइन होकर वैदिक मंत्रों द्वारा विधि-विधान से दूध एवं गंगाजल से अ‌र्घ्य दिलवाया। अ‌र्घ्य के बाद व्रतियों ने सूर्य मंत्र से हवन किया गया। समिति की कानूनी सलाहकार अर्चना पाण्डेय ने बताया कि सभी लोगों ने अपने घरों में रहकर कोरोना के खात्मे के लिए छठ मइया से विशेष प्रार्थना की।

समिति के प्रधान विनोद साहनी ने महापर्व की बधाई देते हुए छठ की प्रकृति से तुलना करते हुए बताया कि सूर्य सबके देवता हैं। छठ व्रत करने से चमत्कारिक फल मिलते हैं। पर्व को सफल बनाने के लिये समिति के पूर्व प्रधान अनूप पाण्डेय, हरीश चंद तिवारी, तारकेश्वर मिश्र, रविन्द्र सिंह, मनीश शर्मा, सुरेन्द्र वर्मा, शंभू यादव, मुख्तयार गिरी आदि ने समाज के लोगों को कोरोना काल में अपने घरों में रहकर पर्व को मनाने के लिये प्रेरित किया।

कौन हैं छठी मइया

काíतक मास की षष्टी को छठ मनाई जाती है। छठे दिन पूजी जाने वाली षष्ठी मइया को बिहार में आसान भाषा में छठी मइया कहकर पुकारते हैं। मान्यता है कि छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली यह माता सूर्य भगवान की बहन हैं। इसीलिए लोग सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ मइया को प्रसन्न करते हैं। वहीं, पुराणों में मा दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता का ही रूप माना जाता है। छठ मइया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि जिन छठ पर्व संतान के लिए मनाया जाता है। खासकर वो जोड़े जिन्हें संतान का प्राप्ति नहीं हुई, वो छठ का व्रत रखते हैं, बाकी सभी अपने बच्चों की सुख-शाति के लिए छठ मनाते हैं।


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