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एससी-एसटी एक्ट में दर्ज करवाया था केस, 44 लोगों को मिली 77 लाख रुपये की मदद

सिरसा उपायुक्त प्रदीप कुमार ने बताया चालू वित्त वर्ष में अब तक 44 पीडि़तों को 77 लाख 63 हजार 750 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। नियमानुसार 85 हजार रुपये से लेकर 8 लाख 25 हजार रुपये तक की राशि ऐसे मामलों के लिए दी जाती है

By Manoj KumarEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 05:47 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 05:47 PM (IST)
एससी-एसटी एक्ट में दर्ज करवाया था केस, 44 लोगों को मिली 77 लाख रुपये की मदद
एससी एसटी एक्‍ट में दुर्घटना या अत्याचार के शिकार व्यक्ति को समय पर आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाती है

सिरसा, जेएनएन। उपायुक्त प्रदीप कुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का अत्याचार या दुर्व्‍यवहार होता है तो पीडि़त परिवार को तुरंत प्रभाव से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। पीडि़त को समय पर मिली सहायता आर्थिक सबल बनाने के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी मदद करती है। इसलिए किसी दुर्घटना या अत्याचार के शिकार व्यक्ति को समय पर आर्थिक मदद मुहैया करवाई जाए और इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आर्थिक सहायता देने में किसी प्रकार का विलंब न हो।

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यह बात उपायुक्त प्रदीप कुमार ने बुधवार को अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आयोजित जिला स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही। उपायुक्त प्रदीप कुमार ने जिला कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि एक संवेदनशील मुद्दा है जिसमें दुर्घटना होने पर पीडि़त को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाना अनिवार्य है।

उन्होंने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्यवाही करें और आरोपित व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाही करें। उन्होंने बताया कि इस स्कीम के तहत विभिन्न प्रकार के अत्याचार होने पर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को अधिनियम के नियमों के अनुसार 85 हजार रुपये से लेकर 8 लाख 25 हजार रुपये तक की राशि ऐसे मामलों के लिए प्रदान की जाती है। इसके लिए अनुसूचित जाति/जनजाति(अत्याचार अधिनियम) के तहत एफआइआर दर्ज होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में इस तरह के मामलों में अब तक 44 पीडि़तों को 77 लाख 63 हजार 750 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के मद्देनजर गैर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों द्वारा अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के साथ अत्याचार किए जाने के फलस्वरूप अपराध की प्रवृति को ध्यान में रखकर आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि विभिन्न प्रकार के अत्याचारों जैसे अपमानित, क्षति पहुंचाना, छेड़छाड़, दुष्‍कर्म व नरसंहार, चल-अचल संपत्ति का नुकसान, स्थाई,अस्थाई अपंगता आदि घटित होने पर प्रदान की जाती है।


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