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गाजर घास के एक पौधे से पनपते हैं 10 हजार से अधिक नए पौधे, हो सकती है कई बीमारियां

गाजर घास ना सिर्फ फसलों के लिए हानिकारक होती है ब्लकि ये पर्यावरण और इंसानों के स्वास्थ्य पर भी बूरा असर डालती है। ऐसे में गाजर घास को समाप्त करने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाना जरूरी है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 25 Aug 2021 03:15 PM (IST)Updated: Wed, 25 Aug 2021 03:15 PM (IST)
गाजर घास के उन्मूलन के लिए अगस्त व सितंम्बर माह सबसे सही समय

जागरण संवाददाता, हिसार। गाजर घास के एक पौधे से बीजों से 10 हजार से अधिक पौधे उगते हैं, इसलिए अगस्त व सितम्बर में इन जहरीले पौधों को समाप्त करने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए। जहरीले गाजर घास को पूर्ण रूप से नष्ट नहीं किया गया तो यह भावी पीढ़ी के लिए काफी नुकसानदायक होगी व पर्यावरण को भी दूषित करेगा। आम-तौर पर फरवरी मार्च के महीने में इस जहरीले घास के नए पौधे उत्पन्न होते हैं, और सितम्बर-अक्टूबर के महीने में पौधे से नीचे गिरकर नए पौधे उत्पन्न करता है।

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इस पौधे के बीज हवा से उडक़र व किसी अन्य माध्यम से विभिन्न स्थानों पर पहुंच कर उत्पन्न हो जाते हैं। इसीलिए इस जहरीले पौधे को नष्ट करने के लिए अभी से ही सभी को व्यापक स्तर पर अभियान चलाना चाहिए। सामाजिक संस्था राह ग्रुप फाउंडेशन की ओर से हिसार जिले के एक दर्जन से अधिक स्थानों पर गाजर घास के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया गया है।

छूने मात्र से हो जाती है खुजली

गाजर घास जिसे आम बोलचाल की भाषा में कांग्रेस घास व वैज्ञानिक भाषा में पार्थेनियम हिस्टरोफोरस के नाम से जाना जाता है, का फैलाव एवं जमाव सडकों के किनारे, नहरों के किनारे, रेलवे लाइनों के किनारे, खेतों के किनारे व खाली पड़ी जमीनों एवं प्लाटों में तेजी से हो रहा है। यह जहरीली घास मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं एवं फसलों के लिए भी हानिकारक है।

हो सकते हैं दर्जनों रोग

गाजर घास के पौधे में पारथेनिन नामक जहरीला रसायन पदार्थ होता है। जो भी प्राणी इसेक संपर्क में आता है, उसे एलर्जी एवं खुजली, आंखों में जलन, शरीर विशेषकर आंखों के आस-पास काले धब्बे व फफोले, बुखार, अस्थमा, जुकाम, दमा, चर्म व श्वास सम्बन्धी एलर्जी इत्यादि रोगों के साथ-साथ अनेकों बीमारियों के होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसके अलावा यह दूसरी फसलों का उत्पादन घटता है और पशुओं को भी इससे अनेक प्रकार के रोग हो सकते हैं।

गाजर घास उखाड़ते लोग 

कैसे करे समाप्त

गाजर घास के जहरीले पौधों को नष्ट करने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए जा सकते है, परन्तु इस जहरीले पौधे को पूर्ण रूप से समाप्त करने का सबसे आसान तरीका यह है कि इस पौधे को जड़ से उखाडक़र इसे जला दिया जाए ताकि इन पौधों के बीज भी जलकर पूर्ण रूप से नष्ट हो जाएं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लाईफोसेट व मैट्रिबूजिन नामक कैमिकलों का घोल तैयार करके गाजर घास पर स्प्रे करके इसे नष्ट किया जा सकता है।

कैसे फैलती है गाजर घास

गाजर घास का फैलाव मुख्यत: इसके बीजों द्वारा होता है जो खाद, सिंचाई के पानी, हवा तथा वाहनों एवं रेल गाडिय़ों द्वारा एक के स्थान से दूसरें स्थान पर चले जाते है। यह घास मुख्यत: खुले स्थानों, औद्यौगिक क्षेत्रों, सडक़ों तथा रेलवे लाइन के किनारे, अकृषित भूमि तथा मनुष्य के निवास स्थान के पास पायी जाती हैं।

फूल आने से पहले गाजर घास उखाडक़र नष्ट करें

सावधानी से उखाड़े पौधे 

मानव आवास स्थानों के आस-पास तथा क्यारियों में उगे गाजर घास/पार्थीनियम के पौधों को फूल आने से पहले समूल से उखाडक़र नष्ट कर दें। इसके गिने-चुने पौधे हों तो उन्हे हाथ से उखाड़ा जा सकता है। ज्यादा क्षेत्र पर इन्हें हाथ से उखाड़ना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। अत: इस परिस्थिति में यांत्रिक विधि से नष्ट करना चाहिए। हाथ से उखाड़ते समय ध्यान रखना चाहिए कि पौधे का शरीर से सीधा सम्पर्क न हो। इसके लिए हाथों में रबड़ के दस्ताने पहने या पॉलिथीन की थैलियां लपेटी जा सकती हैं। पौधें के जड़ से न उखडऩे या दराती आदि से काटने पर ये पुन: तेजी से बढ़ते हैं और इनमें बहुत सारी टहनियां निकलती हैं, जिसके कारण इनकी पुनवृद्वि पहले से अधिक हो जाती है। अत: इन्हें समूल नष्ट करना चाहिए।

जैविक नियंत्रण भी कारगर

गाजर घास/पार्थीनियम का जैविक नियंत्रण मैक्सीकन बीटल (जाइगोग्रामा बाईकोलोराटा) द्वारा भी किया जा सकता है। एक वयस्क बीटल एक पार्थीनियम के पूर्ण पौधे को 6 से 8 सप्ताह में खा जाता है। इस बीटल में प्रजनन की अद्भुत क्षमता होती है। एक स्थान पर जहाँ पार्थीनियम अच्छी मात्रा में हो कम से कम 500-1000 तक वयस्क बीटल छोड़ना चाहिए। एक स्थान पर इसे समाप्त करने के बाद बीटल पास वाले क्षेत्रों में उगे हुए पार्थीनियम पर आकर्षित होकर स्वत: ही चले जाते हैं। अत: एक बड़े क्षेत्र में कई जगह निर्धारित कर अलग-अलग बीटल छोड़ने पर उनका प्रसार तेजी से होगा। यह बीटल केवल पार्थीनियम को ही खाता है।

प्रतिस्पर्धात्मक पौधों द्वारा नियंत्रण

अकृषित क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मक पौधों जैसे चकौड़ा (केसिया सिरेरिया एवं केसिया तोरा) एवं लटजीरा (एकाइरैन्थस अस्पेरा) द्वारा इसकी वृद्धि एवं विकास को रोका जा सकता है। घर के आस-पास एवं संरक्षित क्षेत्रों में गेंदे के पौधें लगा कर इसका विकास रोका जा सकता है। कृषित क्षेत्रों में शीघ्र बढऩे वाली फसलें जैसे ढैंचा, ज्वार, बाजरा आदि की फसलें लेकर इस खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है। गाजर घास के दुष्प्रभावों से मुक्त रहने के लिए सामूहिक प्रयास से इसका प्रबंध करना आवश्यक है।


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