बिजली आपूर्ति के लिए पड़ोसी गांवों से बैर लेने वाले बुड़ाक गांव को जगमग योजना में करेंगे शामिल
जगमग योजना में शामिल होने के चलते तीन दिन पहले बुड़ाक गांव ने अपने पावर हाउस से साथ लगते गांवों की बिजली सप्लाई रोक दी थी। इस पर बालसमंद गांव ने बुड़ाक जाने वाले बसों को रोक लिया था। पावर हाउस पर चल रहे धरने को पुलिस उठाने पहुंची थी
जागरण संवाददाता, हिसार। आदमपुर क्षेत्र के बुड़ाक गांव में जगमग योजना का अभी तक 20 प्रतिशत काम पूरा होना बाकी है। बिजली निगम का दावा है कि इस काम को मई माह के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद ही बिजली सप्लाई को लेकर पड़ोसी गांवों से वैर मोल लेने वाले बुड़ाक गांव को जगमग याेजना में शामिल करने की कवायद शुरू होगी। इस मामले में एक्सईन ने ठेकेदार को फटकार लगाई है। जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए है।
बिजली निगम ने गांव में काम पूरा करने के लिए जो एस्टीमेट बनाया था। उसी हिसाब से एसडीओ गांव में काम की स्टेट्स रिपोर्ट तैयार करेंगे। एस्टीमेट में जिन-जिन कामों को पूरा करने पर बात तय हुई थी। कंप्लीट रिपोर्ट के लिए गांव में सर्वे होगा कि उसके मुताबिक काम पूरा हुआ है या नहीं। इसके बाद एक्सईन उस रिपोर्ट को बिजली निगम को पेश करेंगे।
बता दें कि जगमग योजना के अंदर शामिल होने के चलते तीन दिन पहले बुड़ाक गांव ने अपने पावर हाउस से साथ लगते गांवों की बिजली सप्लाई रोक दी थी। इस पर बालसमंद गांव ने बुड़ाक जाने वाले बसों को रोक लिया था। पावर हाउस पर चल रहे धरने को पुलिस उठाने पहुंची तो लाठीचार्ज करना पड़ा इसके उत्तर में ग्रामीणों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। इस पूरे प्रकरण में चार लोग घायल हाे गए थे। पुलिस ने 50 लोगों पर मामला भी दर्ज किया हुआ है।
25 प्रतिशत से कम लाइनलास होना जरूरी
बिजली निगम के अनुसार जगमग योजना का लाभ पाने के लिए गांव में 25 प्रतिशत से कम लाइनलास होना जरूरी है। यह निगम की टीम जांच करेगी कि गांव में कितना लाइनलास है और कितना बिल व यूनिट आती है। जैसे कि एक लाइनलास होता है कि तकनीकी खराबी के चलते हुई है या कुंडी से हुआ है। उसी में पता चलेगा कि गांव में कितनी यूनिट बिल से भरपाई होती है और कितनी कुंडी लगती है। बिजली निगम गांव को कितनी बिजली देता है। इसके बाद ही तय होगा कि जगमग योजना के तहत कितनी घंटे बिजली मिलेगी।
दो साल से नहीं हुआ काम पूरा
दरअसल बुड़ाक गांव में जगमग योजना का काम दिल्ली की कंपनी को दिया हुआ है। दो साल से ठेकेदार गांव में काम करने में लगा है। आलम है कि गांव में अभी तक योजना का काम पूरा नहीं हुआ है। इसका नतीजा गांव वालों को भुगतना पड़ा है, क्योंकि योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा।