लिफ्ट में कदम रखते ही 45 फीट गहरे गड्ढे में गिरा युवक, मौत Hisar news
अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में भर्ती पिता की दवाई लेने बुआ के लड़के के साथ तीसरी मंजिल से नीचे जा रहा था युवक। ऊपर से लिफ्ट की ट्रॉली भी युवक पर जा गिरी बुरी तरह कुचला गया।
अग्रोहा (हिसार) जेएनएन। अग्रोहा मेडिकल कॉलेज में को लिफ्ट से अजीबोगरीब हादसा हुआ। इसमें भेरिया गांव निवासी 20 वर्षीय प्रवीन की जान चली गई। युवक तीसरी मंजिल पर वार्ड में भर्ती अपने पिता के लिए दवाई लेने जा रहा था। जब उसने लिफ्ट का बटन दबाया तो दरवाजा खुल गया। मगर ये क्या, जैसे ही उसने अंदर कदम रखा तो वहां लिफ्ट नहीं थी और वह धड़ाम से 45 फीट गहरे लिफ्ट के लिए बनाए गए गड्ढे में जा गिरा। इसके बाद ऊपर से लिफ्ट भी उसके ऊपर जा गिरी और उसे बुरी तरह कुचल दिया।
उधर परिजनों ने आरोप लगाया कि यदि समय रहते मेडिकल प्रशासन लिफ्ट में फंसे युवक प्रवीन की गौर कर लेता तो उसको बचाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह सरासर लापरवाही है। जब तक मेडिकल प्रशासन के खिलाफ जांच कर कार्रवाई नहीं होगी और मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को डीसी रेट पर नौकरी नहीं मिलेगी वो शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाएंगे।
प्रत्यक्षदर्शी और युवक के साथ जा रहे उसके बुआ के लड़के ने ये बताया
प्रवीन की बुआ के लड़के विक्की ने बताया कि फूफा यानी प्रवीन के पिता का शुक्रवार को सिर का आपरेशन हुआ था। प्रवीन मेडिकल कालेज की तीसरी मंजिल के सर्जरी वार्ड में उपचाराधीन अपने पिता का खाना लेकर आया था। खाना खिलाने के बाद प्रवीण और मैं चिकित्सकों के द्वारा लिखी गई दवाइयां लेने के लिए तीसरी मंजिल पर लगी लिफ्ट के जरिये नीचे जाने लगे। जैसे ही तीसरी मंजिल पर लिफ्ट के पास गए और बटन दबाया तो दरवाजा खुल गया। प्रवीण ने जैसे ही कदम रखा तो वहां लिफ्ट नहीं थी और वह सीधा नीचे जा गिरा। उसी समय ऊपर से लिफ्ट की ट्राली भी उस पर जा गिरी तथा प्रवीण नीचे दब गया।
विक्की ने बताया कि प्रवीण को गिरता देख मैं गेट से दूर हो गया था, जिससे मैं बच गया। मैंने शोर मचाकर सिक्योरिटी गार्ड व अन्य स्टाफ को बुलाया। करीब एक घंटे के बाद अस्पताल प्रबंधकों ने युवक को बाहर निकलवाया तथा हादसे की सूचना अग्रोहा थाने में दी।
चिकित्सकों की लिफ्ट मरीजों के लिए नहीं : मेडिकल अधीक्षक
उधर, मेडिकल अधीक्षक पंडित नजीर अहमद अपना पल्ला झाड़ते हुए बोले कि चिकित्सकों के लिए लगी लिफ्ट मरीजों व तीमारदारों के लिए नहीं है। उनके लिए मेडिकल प्रशासन द्वारा रैंप की सुविधा दी गई है। उन्हें रैंप का इस्तेमाल करना चाहिए। यह एक तकनीकी हादसा है, इसमें किसी भी प्रकार से मेडिकल प्रशासन जिम्मेदार नहीं है।
मां व भाई को मिली नौकरी
परिजनों का आरोप यदि समय रहते मेडिकल प्रशासन ध्यान देता तो प्रवीण की जान बचाई जा सकती थी। मृतक के परिजनों ने मेडिकल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब तक मेडिकल प्रशासन के खिलाफ जांच कर कार्रवाई नहीं होगी और मृतक को मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को एक डीसी रेट पर नौकरी नहीं मिलेगी वो शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाएंगे। इसके बाद देर रात मृतक की मां व भाई को मेडिकल कॉलेज में नौकरी दे दी गई।