पूरी व समोसे तलने पर बचे तेल और काई से चलेंगी गाडि़यां, बनेगा बायोडीजल
बायोडीजल को भविष्य के ईंधन के रूप में किया जा सकता प्रयोग। जीजेयू में आयोजित की गई कांफ्रेस में प्रो. योगेश को मिला फैला अवार्ड 2019। बायोडीजल का जानें प्रयोग
हिसार [सुभाष चंद्र] पूरी व समोसे व अन्य तरह के खाद्य पदार्थ तलने पर बचे तेल को बायो डीजल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह जानकारी बनारस के वाराणसी स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर योगेश चंद्र शर्मा ने दी, वह जीजेयू में आयोजित किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित हुए थे। उन्हें उनके रिसर्च कार्यों के लिए जीजेयू में सम्मेलन के दौरान आइएपीएस की ओर से फैलो ऑफ आइएपीएस अवार्ड 2019 से सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने काई और वेस्ट ऑयल से बायोडीजल बनाने पर रिसर्च की है।
जिसमें सामने आया है कि बायो डीजल एनर्जी के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। भविष्य में गाडिय़ों के इंजन का मोडिफिकेशन करके बायोडीजल से ही गाडिय़ा चल सकेंगी। इसे भविष्य के ईंधन के रूप में देख सकते हैं, क्योंकि आने वाले समय में डीजल और पेट्रोल जैसे संसाधन खत्म हो सकते है, लेकिन बायोडीजल जब तक जीवन है, इसे बनाया जा सकेगा।
जानिये...क्या है प्रक्रिया
प्रो. योगेश ने बताया कि काई अथवा एल्गी को एकत्रित करना पड़ता है, फिर इसे सुखाया जाता है। इसे मशीन में डालकर इससे तेल निकाला जाता है। तेल को एकत्रित करके केमिस्ट्री की एक विधि को प्रयोग करके बायोडीजल बनाया जा सकता है। काई द्वारा निकाले गए 10 लीटर तेल से 9 लीटर के करीब बायोडीजल बनाया जा सकता है। फिलहाल आठ लीटर डीजल और 2 लीटर बायोडीजल को मिलाकर गाडिय़ों में ईंधन के रूप में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ब्राजील और अमेरिका में बायोडीजल काफी मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है। साउथ अफ्रीका सहित अन्य विदेशी सांइटिस्ट के साथ इस रिसर्च पर काम किया है।
पानी से अशुद्धियों को निकाल बनाया पीने योग्य
प्रो. योगेश ने इसके अलावा पानी से अशुद्धियों को निकालने पर भी रिसर्च की है। उन्होंने बताया कि यह रिसर्च 2008 में शुरू की थी। पानी में कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम, कोबोल्ट जैसे खतरनाक तत्व पाए जाते हंै जो कैंसर बनाने में सहायक हैं। क्रोमियम सहित अन्य मैटल से कैंसर सहित अन्य कई तरह की बीमारी होती हैं। पानी को पीने योग्य बनाने की विधि तैयार की है। इस विधि को अगर पोर्टबल फिल्टर से जोड़ा जाए और इसे गांव में लगाया जाए जो गांव में भी दूषित जल को साफ किया जा सकता है।