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श्रद्धाभाव के साथ मनाई भारत रत्न डा भगवानदास की पुण्यतिथि

अग्रवाल वैश्य समाज की ओर शनिवार को अर्बन एस्टेट में भारत रत्न डॉ भगवान दास की जयंती पर कार्यक्रम।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Sep 2021 11:41 PM (IST)Updated: Sat, 18 Sep 2021 11:41 PM (IST)
श्रद्धाभाव के साथ मनाई भारत रत्न डा भगवानदास की पुण्यतिथि
श्रद्धाभाव के साथ मनाई भारत रत्न डा भगवानदास की पुण्यतिथि

हिसार (वि) : अग्रवाल वैश्य समाज की ओर शनिवार को अर्बन एस्टेट में भारत रत्न डॉ भगवान दास की पुण्यतिथि श्रद्धाभाव के साथ मनाई गई। इस दौरान समाज के प्रबुद्धजनों ने डा भगवानदास की प्रतिमा पर पुष्य अर्पित किए और उनके कार्यों को याद करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि सभा में डा भगवानदास की सेवाओं को याद करते हुए अमर गुप्ता ने कहा कि डा भगवान दास का जन्म बनारस के अग्रवाल परिवार (12.01.1869) में हुआ था। स्नातक होने के बाद वे डिप्टी कलेक्टर बने, परन्तु शैक्षिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने इससे त्यागपत्र दे दिया। वे काशी विद्यापीठ के संस्थापक सदस्य थे। वे फारसी, संस्कृत तथा हिदी के विद्धान थे और लगभग 30 किताबें लिखी। असहयोग आंदोलन के समय वे गांधी जी के साथ आए और कांग्रेस में शामिल हो गए। आजादी की लड़ाई में वे कई बार जेल गये और जेल की यातनाएं भी सही। वे कांस्टीटेंट एसेंबली आफ ब्रिटिश इंडिया के सदस्य बने जो 1947 में भारत की संविधान सभा और 1950 में भारत की संसद बनी। उनके नाम पर डा. भगवान दास रोड, नई दिल्ली, जिस पर हमारा सर्वोच्च न्यायालय स्थित है, डा भगवान दास नगर, वाराणसी तथा बनारस हिन्दू विश्व-विद्यालय में डा भगवान दास छात्रावास भी उन्हीं के नाम पर स्थापित है। वर्ष 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत-रत्न से सुशोभित किया गया। 18 सितंबर 1958 को उनका देहांत हो गया। इस मौके पर अशोक गुप्ता, राकेश गुप्ता, बलबीर गर्ग, रघुवीर गर्ग, राम अवतार गोयल और अमर गुप्ता मौजूद थे।

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