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टूट गया 52 साल पुराना भजनलाल परिवार का वर्चस्‍व, आदमपुर में अपने बूथ में भी हारे भव्‍य

हैरानी की बात यह है कि जिस गढ़ से चौधरी भजन लाल 70 हजार मतों से जीत दर्ज कर थे और उनके पोते को आज 23227 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है।

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 03:17 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 01:03 PM (IST)
टूट गया 52 साल पुराना भजनलाल परिवार का वर्चस्‍व, आदमपुर में अपने बूथ में भी हारे भव्‍य
टूट गया 52 साल पुराना भजनलाल परिवार का वर्चस्‍व, आदमपुर में अपने बूथ में भी हारे भव्‍य

आदमपुर/हिसार [डीपी बिश्नाई] साल 1967 में आदमपुर विधानसभा के वजूद में आई थी। तब से लेकर साल 2014 तक स्वर्णीय चौधरी भजन लाल और उनका परिवार इस सीट पर काबिज रहा है। एक वक्त था जब 50 हजार से ज्यादा मतदाता चौधरी भजन लाल के इशारे पर मतदान करते थे। भजनलाल आदमपुर को अपना परिवार मानते थे। यहीं वजह थी कि आदमपुर किसी भी प्रत्याशी या पार्टी के लिए एक अभेद किले की तरह था। 52 साल बाद पहली बार इस अभेदय किले में किसी ने सेंधमारी की है। जिसने किले की दीवारों को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया है।

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भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह को 59122 वोट मिले है और 23227 मतों से आदमपुर विधानसभा में जीत दर्ज करवाई हैं। हैरानी की बात यह है कि जिस गढ़ से चौधरी भजन लाल 70 हजार मतों से जीत दर्ज कर थे और उनके पोते को आज 23227 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। भले ही राजनीति के धुरंधर इसे मोदी मैजिक की बात कह रहे हैं। जमीनी हकीकत यह भी है कि आदमपुर में भव्य बिश्नोई की हार के पीछे उनके पिता कुलदीप बिश्नोई की कमियां मुख्य कारण रही हैं।

भजनलाल जिस आदमपुर को अपना परिवार समझते थे। कुलदीप बिश्नोई ने उस परिवार को अपनापन नहीं दे पाए। आदमपुर कुलदीप बिश्नोई को चुनाव जीतता गया और वह उन्हीं लोगों से दूरी बनाते गए। इसी का खामियाजा वीरवार को चौधरी भजन लाल के पोते को आदमपुर से करारी हार के रूप में करना पड़ा।

भजनलाल के इशारे पर आदमपुर डाला था वोट

शुरुआती दौर में भिवानी लोकसभा क्षेत्र का आदमपुर हिस्सा रहा। जब भी लोकसभा चुनाव हुए भजनलाल ने आदमपुर की जनता को जहां वोट डालने को कहां, वहीं जनता ने वोट दिया। लोग आज भी मिसाल देते हैं कि भजनलाल अगर चश्मे को हाथ लगाते थे तो वोट चश्मे पर सारा आदमपुर वोट डाल देता था। जब आदमपुर हिसार लोकसभा का अंग बना तो इस  परिवार की ताकत ओर बढ़ गई।

हिसार के साथ साथ हांसी और नलवा में भजनलाल का काफी प्रभाव था। 1967 में आदमपुर हल्का  वजूद में आया और पहला चुनाव चौधरी भजनलाल ने स्वयं यहां से लड़ा और जीत हासिल की। उसके बाद उनकी पत्नी उनके बेटे और उनकी पुत्रवधू ने भी आदमपुर से  चुनाव लड़ा और सभी ने भारी मतों से चुनाव जीता। साल 2011 में चौधरी भजन लाल के स्वर्गवास के बाद साल 2014 के आते आते इस परिवार की चमक फीकी पडऩे लगी।

भव्य बिश्नोई को अपने बूथ में मिली हार

आदमपुर मार्केट कमेटी में चौधरी भजन लाल की दुकान है। यहीं के बूथ में आज तक पूरा परिवार मतदान करता आया है। हैरानी की बात है कि चौधरी भजन लाल के पोते भव्य बिश्नोई को पारिवारिक बूथ पर हार का सामना करना पड़ा। वह अपना बूथ बचाने में नाकाम रहे। आदमपुर मार्केट कमेटी में बने बूथ 57 में 136 मतों से भव्य बिश्नोई हार गए। भाजपा को यहां 287 वोट मिले तो भव्य बिश्नोई को मात्र 151 मतों से संतुष्ट होना पड़ा। बूथ नंबर 57 पर कुल 500 वोट पड़े थे।

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