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सावधान ! बाजार में बिक रहा नकली सामान, आकर्षक पैकिंग की आड़ में सेहत से हो रहा खिलवाड़

मार्केट में टॉफी बिस्कुट भुजिया चिप्स सहित अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ बगैर एफएसएसएआइ लाइसेंस के धड़ल्ले से बिक रहे हैं। बिना लाइसेंस के नियमों व कायदों को ताक पर रखकर तैयार हो रही ये खाद्य सामग्री लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 07:41 AM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 07:41 AM (IST)
जिम्मेदार अधिकारी नकली सामान बेचने वालों पर कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं।

हांसी/हिसार [मनप्रीत सिंह] कहते हैं कि पहला सुख निरोगी काया है और निरोगी काया का आधार हमारा खान-पान है। मार्केट में टॉफी, बिस्कुट, भुजिया, चिप्स सहित अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ बगैर एफएसएसएआइ लाइसेंस के धड़ल्ले से बिक रहे हैं। बिना लाइसेंस के नियमों व कायदों को ताक पर रखकर तैयार हो रही ये खाद्य सामग्री लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर फूड सेफ्टी विभाग की नाक तले ऐसे खाद्य पदार्थों का करोड़ों का धंधा कैसे चल रहा है।

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बता दें कि शहर की मार्केट में अनेक दुकानों पर ऐसे खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं जिनके पैकेटों पर बैच नंबर, एफएसएसएआई नंबर, बार कोड, मैन्युफैक्चरिंग व एक्सपाइरी की तारीख तक नहीं दर्शायी होती। छाबड़ा चौक इलाके में कई दुकानें हैं जिन पर ये सामाने खुलेआम बिक रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदार यहां से थोक में खाद्य पदार्थ जैसे बिस्कुट, भुजिया, बच्चों की टॉफी व चिप्स के पैकेट आदि सामान खरीदकर ले जाते हैं। शहर में भी बड़े स्तर पर ये प्रोडक्ट्स सप्लाई हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों की मानें तो घटिया क्वालिटी के खाद्य सामग्री से लीवर, स्किन, किडनी, फेफड़ों से संबंधित बीमारियां होने का खतरा रहता है।

लाइसेंस आया नहीं, भुजिया पहुंच गई मार्केट में

शहर में एक भुजिया खूब लोकप्रिय है। इसके पैकेट पर किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दर्शायी गई है। केवल निर्माता का एक मोबाइल नंबर अंकित है। दैनिक जागरण संवाददाता द्वारा जब इस मोबाइल नंबर पर बात करके एफएसएसएआई नंबर के बारे में पूछा गया तो जवाब मिला कि लाइसेंस के लिए आवेदन कर रखा है। जब पूछा गया कि लाइसेंस आने से पहले ही भुजिया को मार्केट में कैसे उतार दिया तो दुकानदार के पास कोई जवाब नहीं था।

बच्चों की सेहत को खतरा

बगैर सरकारी लाइसेंस के खाद्य पदार्थ बनाने वाले बेहद ही घटिया खाद्य सामग्री का इस्तेमाल करते हैं। ये पदार्थ सबसे अधिक नुकसान बच्चों के स्वास्थय को पहुंचाते हैं क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं होता। अभिभावकों को बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ चैक करके देने चाहिए कि वह एफएसएसएआई लाइसेंस धारक द्वारा मान्यता प्राप्त हैं या नकली हैं।

बगैर लाइसेंस के चल रही फैक्ट्रियां

शहर के कई इलाकों में बगैर एफएसएसएआइ लाइसेंस के ही खाद्य पदार्थों की फैक्ट्रियां चल रही हैं। इन पर कार्रवाई करते हुए कोई नजर नहीं आता। बेहद घटिया क्वालिटी के खाने-पीने के प्रोडेक्टस इनमें बनाए जाते हैं। शहर में टॉफी, बिस्कुट, भुजिया व मिठाइयों के अलावा भी अनेक प्रोडेक्टस बगैर लाइसेंस के ही बनाए जा रहे हैं।

खाद्य पदार्थ बनाने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य

किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। 12 लाख से अधिक टर्न ओवर वाले सामान के लिए एफएसएसएआई का लाइसेंस जारी होता है व इससे कम वालों के लिए अलग लाइसेंस मिलता है। लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों पर विभाग कार्रवाई करता है। खाद्य पदार्थ बनाने वालों से अपील है कि लाइसेंस अवश्य बनवाएं। - अरविंद्रजीत सिंह, फूड सेफ्टी अॉफिसर


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