बैंक कर्मचारी ने भाई के साथ फर्जी फर्म बनाकर ग्राम पंचायतों से मिलकर किया लाखों का टैक्स चोरी
जागरण संवाददाता हिसार हिसार प्रथम और द्वितीय खंड के अंतर्गत आने वाली पंचायतों में फर्जी फ
जागरण संवाददाता, हिसार: हिसार प्रथम और द्वितीय खंड के अंतर्गत आने वाली पंचायतों में फर्जी फर्म बनाकर लाखों रुपये की सरकार से ही टैक्स चोरी की गई है। आरोप है कि एक निजी बैंक के कर्मचारी राहुल ने हिसार प्रथम खंड में कार्यरत अपने भाई के साथ मिलकर फर्जी बिल जारी कर और सरपंचों के साथ मिलकर करीब 60 से 70 लाख रुपये का टैक्स चोरी किया। सिविल लाइन थाना पुलिस ने फर्जी फर्म शर्मा ट्रेडिग कंपनी पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। राजीव नगर के डायमंड डिस्पले कांट्रेक्टर सुनील कुमार ने इस पूरे मामले की शिकायत एडीजीपी सीएम फ्लाइंग को आरटीआइ में मिले कागजात के आधार पर की थी।
पुलिस को सुनील कुमार ने बताया कि उसने हिसार प्रथम और द्वितीय खंड में ग्राम पंचायत में हुए विकास कार्य की आरटीआइ से जानकारी मांगी गई। इसमें 10 पंचायत की जानकारी प्राप्त हुई। उसमें से तीन ग्राम पंचायत में हुए काम के दौरान प्रयोग फर्म फर्जी निकली। आरोप है कि फर्म का कराधान विभाग में पंजीकरण नहीं था। एक पंचायत तो ऐसी मिली जिसका टिन नंबर पंजीकृत नहीं था। सुनील ने कहा कि 2012 में पंचायतों के विकास कार्य का अनुदान सीधा खातों में आया था। उसका खाता इंडसइंड बैंक में खुलवाया गया था। उस दौरान जो भी पैसा आता-जाता, वह इस बैंक से जाता था।
आरोप है कि फर्जी फर्म के नाम से गांव किरतान, ढाणी पीरांवाली और मंगाली झारा में सामान खरीदा गया। बाकी पंचायतों ने तो सामान खरीदा या नहीं जवाब ही नहीं मिला। सुनील ने आरोप लगाया कि उस फर्जी फर्म से टैक्स चोरी करने के लिए फर्जी बिल बैंक कर्मचारी राहुल ने बनाए। उसका भाई हिसार प्रथम खंड में कार्यरत था तो उसको धोखाधड़ी करने में आसानी हुई। यह घोटाला 2013 से 2015 के बीच हुआ। आरोप है कि फर्म के माध्यम से करीब 60 से 70 लाख रुपये की टैक्स चोरी की गई है। सुनील ने आरटीआइ में इन सबके कागज आने के बाद सीएम फ्लाइंग के एडीजीपी को शिकायत भेजी, जिसे वापस एसपी के पास भेजा गया। अब पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
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बिल को एसडीओ-जेई से करवाना होता है सत्यापन
सरकार के नियम के अनुसार कोई भी काम पूरा होने के बाद 20 हजार से ज्यादा के बिल को एसडीओ और उससे नीचे के बिल का सत्यापन जूनियर इंजीनियर को करना होता है। मगर इस दौरान किसी ने बिल का सत्यापन नहीं किया। यदि वह सत्यापन के लिए जाते तो डर था कि कहीं फर्म का पता न चल जाए।