माता-पिता ने छोड़ा, खुद के दम पर पढ़ी, सीमा ने हाथों में थामा बस का स्टेयरिंग
बचपन में ही सीमा के माता-पिता ने उसका साथ छोड़ दिया, सीमा खुद के दम पर पढ़ी और ग्रेजुएशन कर रही हैं। सीमा जिस तरह से बस चला फर्राटा भरतीं है उसे देख पुरुष भी भौचक्के रह जाते हैं।
नारनौंद [सुनील मान] सड़क पर स्कूटी और कार चलाते हुए आपने महिलाओं को खूब देखा होगा। मगर सोचिए अगर एक युवती को अाप ट्रक या बस चलाता देखें तो शायद यह चीज आपके लिए बिल्कुल नई हो। हरियाणा के हिसार जिले की बेटी सीमा ग्रेवाल ने एक ऐसा ही पेशा चुना है। जिसे लेकर वो चर्चा में बनी हुई है। ग्रेजुएशन कर रही सीमा ग्रेवाल जिस तरह से हरियाणा रोडवेज की बस से फर्राटा भरतीं है उसे देख पुरुष भी भौचक्के रह जाते हैं।
सीमा के लिए बस चलाना तो जटिल था ही मगर इससे भी जटिल था विपरीत हालातों से उभरकर जीना। मगर सीमा ने हार नहीं मानी। सीमा ने बताया कि जब वो महज कुछ महीने की थी तो उनकी मां का साथ पिता ने छोड़ दिया। सिलसिला यहीं नहीं रूका और मां की ममता भी जवाब दे गई और सीमा को अनाथ आश्रम में छोड़ मां भी अपनी डगर निकल गई।
इस हादसे के बाद मां का फिर दिल पसीजा तो छह साल की होने पर सीमा को फिर अपने साथ ले गई। मगर सीमा के भाग्य में अभी और दिक्कतें थी और उनकी मां ने फिर से अपना एक नया परिवार बसा लिया और इस सब में सीमा फिर से पीछे छूट गई। मामा के पास रह सीमा ने स्कूली पढ़ाई शुरू की मगर यहां भी उसके लिए स्थाई ठिकाना न बन सका। इसके बाद सहेली के घर रह सीमा ने खुद के दम पर पढ़ाई शुरू की और अब वो हैवी वाहन चलाने की ट्रेनिंग ले रही हैं।
नारनौंद क्षेत्र के गांव गुराना की बेटी सीमा ग्रेवाल का सपना पुलिस या सेना में बड़ी अधिकारी बनकर देश सेवा करने का है। सीमा ग्रेवाल इन दिनों हिसार के फतेह चंद कॉलेज में बीए फाइनल की पढ़ाई कर रही है। बारहवीं पास करने के बाद सीमा हिसार में अपनी सहेली के पास रहने लगी और प्राईवेट नौकरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखी।
जल्द ही मिल जाएगा हेवी लाइसेंस
रोडवेज के प्रशिक्षक सुलेश ने बताया कि सीमा कुछ ही दिनों में ट्रेंड हो गई है वो बड़ी चतुराई के साथ बस को चलाती है। शुरूआत में उसको बारिकियों से बस के बारे में बताया था। अब वो पूरी तरह से ट्रेंड हो चुकी है और जल्द ही उसको हेवी लाइसेंस मिल जाएगा।
महिलाओं के लिए प्रेरणस्रोत है सीमा
हिसार रोड़वेज के ट्रैफिक मेनेजर आर के श्योकंद ने बताया कि सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम काफी रंग ला रही है। जिसकी बदौलत आज लड़कियां उन कामों को करने में भी गुरेज नहीं कर रही हैं जिनके लिए पुरुषों को ही प्राथमिकता दी जाती है। सीमा प्रेरणा स्त्रोत बन रही हैं। जोकि हमारे समाज के लिए अच्छे संकेत हैं। समाज की बहन बेटियां भी बसों को चलाएगीं तो महिलाएं भी यात्रा के दौरान अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकेगी।