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आजाद हिंद फौज में रहे 98 वर्षीय ललती राम के लिए 72 सालों से करवा चौथ कर रही चांदकौर

आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे ललती राम की 1940 में चांदकौर से सगाई हुई थी, आंदोलन में ललती राम पांच साल तक लापता रहे मगर चांदकौर उनका इंतजार करती रही और फिर शादी के बंधन में बंधे।

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 03:12 PM (IST)Updated: Fri, 26 Oct 2018 03:12 PM (IST)
आजाद हिंद फौज में रहे 98 वर्षीय ललती राम के लिए 72 सालों से करवा चौथ कर रही चांदकौर

झज्जर [अमित पोपली] करवाचौथ का व्रत हमारी परंपरा और संस्कृति का अह्म अंग है। सौभाग्य की कामना के लिए पत्नी द्वारा पति के निमित रखे जाने वाले व्रत के साथ जुड़ी हमारी भावनाएं रिश्तों की इस डोर को और अधिक मजबूत बनाने का काम कर रही है। सदियों से चली आ रही रवायत से जुड़ा एक हिस्सा है 92 वर्षीय चांदकौर और उनके स्वतंत्रता सेनानी पति करीब 98 वर्षीय ललती राम का। हरियाणा के झज्‍जर जिले में मूल रूप से दुबलधन गांव निवासी ललती राम, सूबे की स्वतंत्रता सेनानी समिति के चेयरमेन भी है और 21 अक्टूबर को दिल्ली के लाल किला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच भी सांझा करके आए है।

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बात उस जमाने से शुरू होती है जब वर्ष 1941 में ललती राम, आईएनए में भर्ती हुए। बताते है कि भर्ती से कुछ दिन पहले ही उनकी सगाई चांदकौर के साथ हुई थी। लेकिन सिर पर तो आजादी का जुनून सवार था। जिसके चलते परिवार से कुछ वर्षों तक संपर्क नहीं हो पाया और वे लापता हो गए। जब वापिस लौटे तो सगाई हुए काफी अरसा बीत चुका था। लेकिन चांदकौर उनका इंतजार कर रही थी। सगाई के करीब पांच साल के बाद वे वर्ष 1946 में वैवाहिक गठबंधन में बंधे। शादी हो जाने के बाद, आज उम्र का 92वां पड़ाव देख रही चांदकौर पति ललती राम की दीघार्यु की कामना कर व्रत रखती है। ऐसा कोई मौका नहीं आया। जब उन्होंने इस दौरान व्रत नहीं रखा हो।

अच्‍छा लगता है पति के लिए व्रत रखना

चांदकौर के मुताबिक उन्हें अपने पति के लिए व्रत रखना, उनके लिए काम करना, साथ में बैठकर पुरानी बातें करना अच्छा लगता है। हां, अभी तो कभी-कभार मैं उनके लिए छोटा-मोटा  काम कर देती हूं। लेकिन 4-5 वर्ष पहले तक तो घर में अपने आप खाना बनाती थी। अब उतना काम तो नहीं होता। हां, नई पीढ़ी की बेटियों को सलाह है कि अपने उन्हें पति के प्रति संकल्पित होना चाहिए। पति के ऊपर भरोसा रखना भगवान से उनकी हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए प्रार्थना करना सच्चे सुख की अनुभूति कराता है।

अपने हाथों से खाना खिलाते थे सुभाष चंद्र बोस

ललती राम व्रत रखे जाने को लेकर तो चर्चा में हैं ही मगर साथ ही वो देश सेवा के लिए भी प्रचलित हैं। ललती राम ने बताया कि वो नेता जी के बेहद नजदीक थे वो और मेरा बच्‍चों की तरह ही ख्‍याल रखते थे, गलती करने पर डांट भी देते थे तो कभी प्‍यार से बात करके मनाते थे। कई बार तो उन्‍होंने अपने हाथो से मुझे खाना भी खिलाया।

73 साल बाद पहली आजाद हिंद फौज की वर्दी

उम्र के 98 वें पड़ाव पर पहुंच चुके आइएनए के सिपाही ललती राम ने करीब 73 वर्ष के बाद आजाद हिंद फौज की वर्षगांठ पर ठीक वैसी ही वर्दी पहनी जैसी कि वे नेता जी के साथ रहने के दौरान पहना करते थे। उल्लेखनीय है कि आजाद हिंद फौज की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ पर 21 अक्टूबर को लाल किले के अंदर होने वाले कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिरंगा फहराया और आजाद हिंद फौज म्यूजियम का उद्घाटन भी किया था। इस दौरान ललती राम भी उनके साथ मंच पर रहे।

सिंगापुर और हांगकांग की जेल में रहे

अपने पुराने दौर को याद करते हुए भावुक हो जाने वाले ललती राम को आइएनए में रहते हुए बहादुरी के लिए 3 मेडल मिले हैं। वे अम्बाला, सिंगापुर, हांगकांग, थाईलैंड, जापान, कोलकाता (जगरकचा) जेल में भी रहे हैं। ललती राम के परिवार से पांचों बेटे पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए देश सेवा की भावना से ओत-प्रोत होकर सेना में भर्ती हुए। बाद की पीढ़ी की बात हो तो 9 पौत्रों में से 5 पौत्र फौज में है तथा एक पौत्री पुलिस में है। जबकि एक पौत्र विपक कुमार सदैव उनकी सेवा में रहता है।

तीन राष्ट्रपतियों ने किया सम्मानित

महामहिम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से दो दफा, महामहिम प्रणब मुखर्जी और महामहिम रामनाथ कोविन्द से भी ललती राम एक-एक दफा सम्मानित हो चुके हैं। सम्मानित होने के इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उन्हें विशेष सम्मान मिल चुका है। आजादी पर्व 2018 के पावन मौके पर 9 अगस्त को महामहिम रामनाथ कोविन्द द्वारा उन्हें पुन: सम्मानित किया जा चुका है। उम्र के 98वें पड़ाव में भी वह पैदल चल लेते हैं। हरियाणा स्वतंत्रा सेनानी समिति का चेयरमैन होने के नाते वे स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के हितार्थ कार्य करने में जुटे हुए हैं। देश की आजादी के बाद पहली दफा हरियाणा स्वतंत्रता सेनानी समिति का चेयरमेन आजाद हिंद फौज के एक सैनिक को बनाया गया है। जिसके बाद प्रदेश भी गतिविधियां पहले से ज्यादा बढ़ गई है।

 ताले तोड़कर सिपाहियों को था छुड़वाया

स्वतंत्रता सेनानी ललती राम का जन्म एक जनवरी 1921 को बेरी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव दुबलधन में हुआ। नेताजी की फौज में रहते इन्होंने कई देशों में युद्ध किया। ललती राम नेताजी की सेना के उन बहादुर सिपाहियों में रहे हैं जिनकों ब्रिटिश सरकार ने कोलकता जेल में रहते जब दिल्ली की ओर रेलगाड़ी में गुप्त तौर पर भेजा तो इनके साथियों ने ललती राम समेत अन्य सिपाहियों को इलाहाबाद के रेलवे स्टेशन पर गाड़ी के डिब्बों पर लगे ताले तोड़कर छुड़ा लिया था और खूब पेट भरकर भोजन कराकर और मान-सम्मान देकर ही दिल्ली रवाना किया था।


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