पानीपत में खतरे के निशान के पास पहुंचा एक्यूआइ, ऐसे बढ़ा आंकड़ा तो जल्द ही 300 करेगा पार
प्रदेश में जिस प्रकार से पराली जलाने के मामलों में इजाफा हो रहा है वैसे ही प्रदेश में जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) भी बढ़ता दिख रहा है। रविवार को पानीपत का एक्यूआई 281 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज किया गया है।
जागरण संवाददाता, हिसार : प्रदेश में जिस प्रकार से पराली जलाने के मामलों में इजाफा हो रहा है, वैसे ही प्रदेश में जिलों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) भी बढ़ता दिख रहा है। रविवार को पानीपत का एक्यूआई 281 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर दर्ज किया गया है। वहीं दूसरे स्थान पर जींद में 244 और तीसरे स्थान पर यमुनानगर में 232 एक्यूआइ दर्ज किया गया। इसके साथ ही 9 जिलों में 200 से अधिक एक्यूआइ चल रहा है। एक्यूआइ बढ़ने का एक बड़ा कारण फसल अवशेषों का जलना है। इसके साथ ही वाहनों के धुएं व फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं भी वायु को प्रदूषित करता है। पिछले एक सप्ताह से प्रदेश में वायु गुणवत्ता खतरे के निशान के आसपास चल रही है। इस पर अभी से ध्यान नहीं दिया गया तो लोगों को सांस संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आज का एयर क्वालिटी इंडेक्स
अंबाला- 194
बहादुरगढ़- 204
बल्लभगढ़- 220
भिवानी- 152
धारूहेड़ा- 246
फरीदाबाद- 214
फतेहाबाद- 198
गुरुग्राम- 187
हिसार- 155
जींद- 244
कैथल- 142
करनाल- 222
कुरुक्षेत्र- 221
पानीपत- 281
सोनीपत- 178
यमुनानगर- 232 इस प्रकार पराली से आय भी कर सकते हैं किसान
- धान की पराली के छोटे-छोटे गोले बनाकर, ईंट के भट्ठों और बिजली पैदा करने वाले प्लांट को बेचा जा सकता है, जिससे कोयले की बचत होगी तथा किसान 1000 से 1500 रूपए प्रति टन के हिसाब से कमा सकते हैं।
- पराली से बॉयोगैस बनायी जा सकती है, जो कि खाना बनाने के काम आ सकती है7 पराली से जैविक खाद भी बनाई जा सकती है, यह न सिर्फ पैदावार को बढ़ाता है, बल्कि उर्वरक पर होने वाले खर्च को भी कम करता है।
- धान की पराली का उपयोग पशु चारे, मशरूम की खेती, कागज और गत्ता बनाने में, पैकेजिग, सेनेटरी उद्योग इत्यादि में किया जा सकता है।
- धान की पराली का उपयोग हल्दी, प्याज, लहसुन, मिर्च, चुकन्दर, शलगम, बैंगन, भिंडी सहित अन्य सब्जियों में किया जा सकता है। मेड़ों पर इन सब्जियों के बीज बोने के बाद पराली को मल्चिग या पलवार कर (पराली को कुतरकर) ढक देने से पौधों को प्राकृतिक खाद मिलती है और ढके हुए हिस्से पर खरपतवार नहीं उगते हैं।
- यदि हैप्पी सीडर की मदद से पराली वाले खेत में ही गेहूं की सीधी बिजाई कर दी जाए तो पराली गेहूं में खाद का काम करती है, जिससे जमीन में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ेगी साथ ही मजदूरी की लागत भी कम आएगी और फसल लगभग 20 दिन अगेती भी हो जाती है। एयर क्वालिटी इंडेक्स का यह है मानक
अच्छा (0-50)- कुछ नहीं
संतोषजनक (51-100)- संवेदनशील लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
थोड़ा प्रदूषित(101-200)- फेफड़े की बीमारी जैसे अस्थमा, और हृदय रोग, लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
खराब (201-300)- लंबे समय तक ऐसा रहने लोगों को सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को बहुत असुविधा हो सकती है।
बहुत खराब (301- 400) - लंबे समय तक ऐसा रहने पर सांस की बीमारी हो सकती है। फेंफड़े व दिल के रोगियों के लिए खतरनाक।
गंभीर(401-500)- यह आपातकाल की स्थिति है। स्वस्थ लोगों को भी सांस लेने में तकलीफ, श्वसन व दिल की बीमारियों के रोगियों को भारी दिक्कतें।