वाजपेयी लहर पर सवार हो अजय चौटाला ने चुकाया था लोकसभा चुनाव में पिछली हार का बदला
1999 के लोकसभा चुनाव में भिवानी संसदीय क्षेत्र में कुल मतदान 70.22 फीसदी रहा। एनडीए प्रत्याशी के रूप में इनेलो के अजय सिंह 3 लाख 81 हजार 255 मत लेकर विजयी बने। जो 52.01 फीसदी था
चरखी दादरी [सुरेश गर्ग] कारगिल युद्ध के बाद अटल बिहारी वाजपेयी लहर के चलते सन 1999 के लोकसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशी के रूप में अजय सिंह चौटाला ने न केवल अपनी पिछली पराजय का बदला चुकाया बल्कि जीत का नया रिकार्ड भी बनाया था। इस चुनाव में अजय चौटाला की विजय तो चुनावी प्रचार के शुरू से ही नजर आने लगी थी तथा नतीजे आने तक मुकाबला केवल जीत के अंतर का रह गया था।
उस चुनाव में जितने मत उनके प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस व हविपा के उम्मीदवारों ने हासिल किए थे उससे अधिक अकेले अजय सिंह ने प्राप्त किए थे। उल्लेखनीय है सन 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में गठित एनडीए में इनेलो में भी शामिल हुई। बताया गया कि उस समय इनेलो को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल करवाने में भाजपा के कई प्रांतीय नेताओं के अलावा जार्ज फर्नाडिस व पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी।
अजय सिंह चौटाला पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरे। उन्होंने अपने पुराने प्रतिद्वंदी हविपा के सुरेंद्र सिंह को सीधी चुनौती दी। कांग्रेस ने चुनाव में जिला भिवानी के दिग्गज समझे जाने वाले धर्मबीर सिंह को मैदान में उतारा। हालांकि पूरे प्रदेश में इनेलो-भाजपा के प्रत्याशी विजयी रहे लेकिन प्रेक्षकों की निगाहें विशेष रूप से भिवानी संसदीय क्षेत्र पर लगी हुई थी।
इसका कारण भी साफ था इस सीट पर जहां पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के राजनैतिक उत्तराधिकारी व इससे पहले के चुनाव में सांसद चुने गए सुरेंद्र सिंह मैदान में थे वहीं चौ. ओमप्रकाश चौटाला की विरासत के अधिकारी माने जाने वाले अजय चौटाला पुन: मैदान में उतरे थे। जिला भिवानी पर चौ. बंसीलाल का सर्वाधिक राजनैतिक प्रभाव माना जाता था तथा जिले के सातों विधानसभा क्षेत्रों में लगातार दो चुनाव में वे अपना वजूद दिखाने में कामयाब रहे थे।
अजय चौटाला को मिले 52 फीसदी वोट
सन 1999 के लोकसभा चुनाव में भिवानी संसदीय क्षेत्र में कुल 10 लाख 53 हजार 603 मतदाताओं में से 7 लाख 40 हजार 347 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कुल मतदान 70.22 फीसदी रहा। एनडीए प्रत्याशी के रूप में इनेलो के अजय सिंह चौटाला 3 लाख 81 हजार 255 मत जो कुल मतदान का 52.01 फीसदी था लेकर विजय रहे। उनके मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस के धर्मबीर सिंह को एक लाख 73 हजार 849 मत तथा हरियाणा विकास पार्टी के सुरेंद्र ङ्क्षसह को एक लाख 51 हजार 686 मत मिले। धर्मबीर सिंह को 24.26 तथा सुरेंद्र सिंह को 20.69 फीसदी मत मिले।
चुनाव में सीपीएस के कामरेड प्रभात सिंह को मात्र 10 हजार 511 मत जो महज 1.43 फीसदी थे ही मिल सके। इससे पूर्व सन 1998 के लोकसभा चुनाव में हविपा-भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी के रूप में सुरेंद्र सिंह 3 लाख 61 हजार 257 मत जो कुल मतदान का 48.17 थे लेकर विजय रहे थे। उनको कड़े मुकाबले में इनेलो के अजय ङ्क्षसह चौटाला का 3 लाख 51 हजार 546 मत जो मतदान का 46.87 फीसदी लेकर मामूली अंतर से हार गए थे। अजय चौटाला ने 1999 के चुनाव में न केवल पुरानी हार का बदला चुकाया बल्कि जीत का नया रिकार्ड भी बनाया।
दस वर्ष बाद श्रुति ने चुकाया हिसाब
सन 1999 के लोकसभा चुनाव के बाद सन 2004 में भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर कुलदीप बिश्नोई विजय हासिल करने में सफल रहे। इसके बाद परिसीमन होने पर इस क्षेत्र में जहां जिला हिसार के आदमपुर, हांसी व जिला भिवानी के बवानीखेड़ा क्षेत्रों का अलग हिसार लोकसभा क्षेत्र में मिला दिया गया वही
नवगठित भिवानी-महेन्द्रगढ़ संसदीय क्षेत्र में जिला महेन्द्रगढ़ के चार विधानसभा क्षेत्रों महेंद्रगढ़, नारनौल, अटेली, नांगल चौधरी को शामिल किया गया।
हविपा में कांग्रेस में विलय होने, सुरेंद्र सिंह के निधन के बाद सन 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी को पार्टी का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा। श्रुति ने 10 वर्षों बाद इनेलो के अजय चौटाला व हजकां के राव नरेंद्र सिंह को हराकर चुनाव में जीत हासिल की। हालांकि पिछली बार मोदी लहर के चलते भाजपा के धर्मबीर सिंह ने श्रुति चौधरी के साथ साथ इनेलो के राव बहादुर सिंह को हराकर काफी अंतर से विजय हासिल की थी।
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