वायु प्रदूषण का फसलों पर भी पड़ रहा है असर, हैरान कर देगा यह तथ्य
बढ़ते प्रदूषण का असर फसलों पर भी हो रहा है। हैरान करने वाला तथ्य सामने आया है कि प्रदूषण के कारण फसलें कम बढ़ती हैं अौर उपज घटती हैं।
हिसार, जेएनएन। प्रदूषण कितना घातक होता है यह आमतौर सभी को पता है, इसका असर फसलों पर किस कदर पड़ता है इस बारे में नया तथ्य सामने आया है। देश में जहां जितना अधिक प्रदूषण है, वहां पर फसलों की ग्रोथ उतनी ही कम हो रही है। ग्रोथ ही नहीं, पौधों पर फल आने और बीज पैदा करने में भी समस्या आ रही है। इससे ऊपज कम हो रही है।
जहां जितना अधिक प्रदूषण, उतनी ही कम बढ़ रहीं फसलें
गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने आए उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित झुनझुनवाला पीजी कालेज के असिस्टेंट डॉ. प्रदीप शर्मा ने अयोध्या में की गई एक पायलेट स्टडी में पाया है कि जिन क्षेत्रों में ऑटोमोबाइल की अधिकता, इंडस्ट्री का धुआं और कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा है, उनके आसपास की फसल की ग्रोथ कम हो रही है।
इंडस्ट्रीयल एरिया के पास वाली फसलें धुएं के कारण जहरीली हो रही हैं। ऐसे में पेस्टिसाइड के साथ पर्यावरण प्रदूषण भी फसलों के लिए घातक समस्या रूप में उभर रहा है। उन्होंने बताया कि गाडिय़ों और उद्योगों का धुआं वातावरण में मिलकर विभिन्न गैसों के स्तर को बड़ा देता है। इससे पौधों का फिजिकल, केमिकल और मॉलीक्यूलर स्तर तक प्रभावित हो रहा है।
तीन क्षेत्रों में गेहूं, जौ और चावल पर किया अध्ययन
डाॅ. प्रदीप शर्मा ने चावल, गेहूं और जौ की फसलों का अध्ययन किया था। ये फसलें तीन जगहों शहर के आसपास, इंडस्ट्रीयल क्षेत्रों से कुछ दूर और पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में लगाई गईं। फसल लगाने से लेकर कटाई करने तक अलग-अलग समय पर फसलों की ग्रोथ का अध्ययन किया गया था। फसलों की साप्ताहिक, मासिक, छमाही रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें वायु प्रदूषण और फसलों की जांच की गई।
इसमें पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों की फसल की ग्रोथ पर कुछ ज्यादा असर नहीं है, लेकिन शहर के पास की फसलों में प्रदूषण के कारण ग्रोथ में असर आ रहा है। यही नहीं, जब फसल पर फूल आने की प्रक्रिया से लेकर फसल तैयार होने तक नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों के आस-पास की फसलों को खराब करने में ध्वनि प्रदूषण का भी बड़ा योगदान है।
बायो तकनीक से तैयार हो फसलें
सम्मेलन के समापन समारोह में पहुंचे कनाडा के प्रो. रविंद्रा चिब्बर ने इस दौरान कहा कि बायो तकनीक का प्रयोग करके ऐसी फसलें तैयार करनी चाहिए, जिन पर बदलते मौसम का प्रभाव न पड़े। उन्होंने बताया कि बहुत कम तापमान के कारण फसलों में होने वाले नुकसान को बायो तकनीक के प्रयोग से कम किया जा सकता है। इससे वातावरण में बदलाव के कारण होने वाले प्रदूषण को भी कम करने में मदद मिल सकती है।