भिवानी और सिवानी में एचएयू के विज्ञानियों के साथ कपास के नुकसान को देखने पहुंचे कृषि मंत्री
कृषि विज्ञानियों की टीम द्वारा भिवानी के बहल व सिवानी क्षेत्र में गई। कृषि मंत्री व कृषि विज्ञानियों की टीम ने इस दौरान फसलों का मुआयना करने के बाद किसानों से भी खराब हुई फसल को लेकर चर्चा की।
जागरण संवाददाता, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी सोमवार को कृषि मंत्री जेपी दलाल के साथ कपास के नुकसान का आकलन करने पहुंचे। कुलपति प्रो. समर सिंह के दिशा-निर्देश पर कृषि विज्ञानियों की टीम द्वारा भिवानी के बहल व सिवानी क्षेत्र में गई। कृषि मंत्री व कृषि विज्ञानियों की टीम ने इस दौरान फसलों का मुआयना करने के बाद किसानों से भी खराब हुई फसल को लेकर चर्चा की। कृषि मंत्री ने एचएयू के विज्ञानियों से भी फसल के नुकसान व उसके कारणों को लेकर गहन चर्चा की। एचएयू की ओर से विस्तार शिक्षा निदेशालय के सह-निदेशक (किसान परामर्श सेवा) डा. सुनील ढांडा ने टीम का नेतृत्व कर रहे थे। यह है कपास खराब होने का कारण
कपास अनुभाग के विज्ञानी डा. ओमेंद्र सांगवान ने बताया कि सिवानी व बहल क्षेत्र की मिट्टी रेतीली है, इसलिए इस क्षेत्र में बिजाई से लेकर टिडे बनने तक फसल को बार-बार पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसके अलावा किसानों द्वारा पौधों को जरूरत के कम खाद दी गई है जिसकी वजह से ऐसी समस्या आई है। उन्होंने कहा कि साथ ही हल्की जमीन जहां समय पर पर्याप्त वर्षा नहीं हुई, पोषक तत्व प्रबंधन का अभाव, सफेद मक्खी के लिए अनुकूल वातावरण एवं फसलों में बिना सिफारिश के कीटनाशकों व फफूंदनाशकों का मिश्रित प्रयोग से भी फसल को नुकसान हुआ है। इसके अलावा फसल का प्रभावित करने वाले कई अन्य कारण भी शामिल हैं। विज्ञानियों या कृषि अधिकारियों की सलाह पर कीटनाशक का करें प्रयोग
डा. ओमेंद्र सांगवान ने मौजूद किसानों से आह्वान किया कि वे भविष्य में कृषि वैज्ञानिकों व कृषि अधिकारियों की सिफारिश अनुसार ही फसलों में कीटनाशकों व अन्य रसायनों का प्रयोग करें। साथ ही समय-समय पर फसल में खाद की कमी को पूरा करना होगा। कृषि मंत्री के साथ क्षेत्र का दौरा करने वालों में विश्वविद्यालय से डॉ. मनमोहन सिंह, डॉ. अनिल जाखड़, डॉ. गुलाब सिंह, डॉ. मुरारी लाल व डा. डीके शर्मा भी टीम में मौजूद रहे।