Agricultural Law Return: जोगेंद्र उगराहा ने सरकार की नीयत पर उठाए सवाल, बोले अब लड़ेंगे एमएसपी की लड़ाई
जोगेंद्र सिंह उगराहा ने एमएसपी को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। कुछ दिनों पहले आंदोलन खत्म होने के संकेत देने वाले जोगेंद्र उगराहा का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी हमारी बड़ी जीत है। मगर अभी एमएसपी को लेकर कानून बनवाने की लड़ाई बाकी है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के मुखिया जोगेंद्र सिंह उगराहा ने एमएसपी को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। कुछ दिनों पहले आंदोलन खत्म होने के संकेत देने वाले जोगेंद्र उगराहा का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी हमारी बड़ी जीत है। बड़े मुद्दे को लेकर हमने लड़ाई जीत ली है। मगर अभी एमएसपी को लेकर कानून बनवाने की लड़ाई बाकी है। अब यह लड़ाई भी लड़ी जाएगी। इसी लड़ाई को लड़ने के लिए उन्होंने आंदोलनकारियों से अपील की है कि वे आंदोलन खत्म होने की अफवाहाें पर ध्यान न दें। बार्डरों पर चल रहे आंदोलन में स्थिर बने रहें।
आंदोलन में लंबा बैठने की तैयारी रखें। इसके लिए मन भी बनाए रखें कि यह लड़ाई लंबी चल सकती है। उगराहा ने कहा कि सरकार किसानों की वाजिब मांगों को लेकर निपटारा बैठकर करने की बजाय भाषणबाजी में मशगूल है। एमएसपी पर कमेटी बनाने की बात बार-बार की जा रही है। मगर आमने-सामने बैठकर सरकार अपना पक्ष किसानों के सामने नहीं रख रही है। जोगेंद्र उगराहा ने कहा कि एममएसपी को लागू करने के लिए सरकार की नीयत ठीक नहीं है। एमएसपी पर कमेटियां पहले भी बनी हैं लेकिन आज तक यह लागू नहीं हो पाया। एमएसपी की लड़ाई तो सानू लड़नी ही पैणी है।
बाकी चार दिसंबर को सिंघु बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है। इस बैठक में एमएसपी समेत अन्य प्रमुख मांगों को लेकर विचार-विमर्श किया जाएगा। इन मांगों को पूरा कराने के लिए आगामी रणनीति भी बनाई जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ओर से जब तक उनकी मांगों ाका तसल्लीबख्श निपटारा नहीं होता, तब तक किसान आंदोलन में बैठने का मन बनाकर ही रखें। गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले जोगेंद्र उगराहा ने आंदोलन की वर्षगांठ के उपलक्ष में आयोजित सभा में कहा था कि तीन कृषि कानूनों की वापसी हो गई है।
एमएसपी व अन्य मांगों को लेकर उन्होंने लड़ाई लड़ने की बात तो कही थी लेकिन इसका स्वरूप दूसरा करने की बात कही थी। उन्होंने कृषि कानूनों पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद बार्डरों पर चल रहा आंदोलन समाप्त करके एमएसपी की लड़ाई किसी दूसरे तरीके से लड़ने के संकेत दिए थे लेकिन अब एमएसपी को लेकर उन्होंने किसानों से आह्वान किया है कि जब तक उनकी सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक अफवाहों पर ध्यान न देकर आंदोलन में ही बैठने का मन बनाकर रखें।