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ये तकनीक अपनाई तो बढ़ेगा फसल उत्पादन, हरियाणा के किसानों की आमदनी में होगी वृद्धि

कृषि विविधिकरण या तो फसल के पेटर्न में बदलाव को दर्शाता है या अन्य गैर कृषि विकल्पों को दर्शाता है जो उच्च स्तर की आय उत्पन्न करने में मदद करते है। इन विकल्पों में पशु पालन मुर्गी पालन बागवानी आदि शामिल है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 09:40 AM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 09:40 AM (IST)
कृषि विविधिकरण से भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ने के साथ ही कीट भी नियंत्रित होंगे

जागरण संवाददाता, रोहतक : कृषि विधिकरण को अपनाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक कृषि विविधिकरण या तो फसल के पेटर्न में बदलाव को दर्शाता है या अन्य गैर कृषि विकल्पों को दर्शाता है, जो उच्च स्तर की आय उत्पन्न करने में मदद करते है। इन विकल्पों में पशु पालन, मुर्गी पालन, बागवानी आदि शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि किसान कृषि में विविधिकरण को अपना कर जोखिम कारकों को कम कर सकते है। कृषि विविधिकरण अपनाने से अगर मौसम फसल के उत्पादन के अनुकूल नहीं रहता है तो भी किसान अपने सभी संसाधनों को नहीं खोते है। कई फसलों को एक छोटे से खेत से काटा जा सकता है। इसलिए उत्पादन 10 गुणा तक बढ़ जाता है, जिससे पर्याप्त आय सुनिश्चित होती है। कृषि विविधिकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार भी सर्जित होते है। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है व इससे कीट भी नियंत्रित होते है। कृषि विविधिकरण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यह मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। प्रथम क्षैतिज विविधिकरण के अंतर्गत एक ही फसल की खेती जैसे गेहूं-धान, गेहूं-कपास की बजाए कई फसलों या फसलों के मिश्रण से संबंधित है। जैसे मिश्रित मौसमीय सब्जियों की कास्त आदि। इस प्रकार का विविधिकरण विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए उपयोगी है, जो जमीन का एक छोटा टुकड़ा रखते है। यह उन्हें फसल की तीव्रता में वृद्धि करके अधिक आय उत्पन्न करने में मदद करता है।

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वर्टिकल विविधिकरण से बढ़ेगी आय :

जिला बागवानी अधिकारी डा. हवा सिंह के मुताबिक कृषि विविधिकरण के दूसरे प्रकार वर्टिकल विविधिकरण के तहत कई फसलों के साथ-साथ औद्योगिकीकरण के समावेश को दर्शाता है। इसके अंतर्गत किसान एक और कदम उठाते है और फसल उत्पादन के साथ-साथ उनसे संबंधित औद्योगिकीकरण में भी निवेश करते है। जैसे बागवानी विभाग की बात करें तो किसान बागवानी फसलों जैसे फल उत्पादन, सब्जी उत्पादन, फूल उत्पादन, खुम्भी उत्पादन, शहद उत्पादन के साथ-साथ इनसे संबंधित छोटे उद्योग धंधे जैसे फल, सब्जी से संबंधित, प्रसंस्करण ईकाई जैसे जैम, जैली, मुरब्बा, चटनी, आचार आदि में निवेश करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते है।

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आमदनी बढ़ाने के लिए किसानों को कृषि विविधिकरण अपनाना चाहिए। बागवानी फसलों के साथ ही उनसे संबंधित छोटे उद्योग धंधे स्थापित कर किसान अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। 

- कैप्टन मनोज कुमार, उपायुक्त, रोहतक । 

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