Agneepath Army Scheme: अब हरियाणा में भी शुरू हुआ अग्निपथ सेना भर्ती प्रक्रिया का विरोध
केंद्र सरकार ने अग्निपथ नामक सेना भर्ती योजना लागू की है। जिसके तहत सेना में चार साल के लिए युवाओं को भर्ती किया जाएगा। इन्हें अग्निवीर कहकर पुकारा जाएगा। युवाओं को चार साल तक 30 हजार रुपयों से शुरू होकर सेवानिवृत होने तक 40 हजार रुपये वेतन मिलेगा।
जागरण संवाददाता, हिसार। केंद्र सरकार की ओर से जारी नई सेना भर्ती अग्निपथ का विरोध देश के कुछ राज्यों में हो रहा है। अब इस आग की लपटें हरियाणा तक आ पहुंची हैं। पलवल में हिंसा हो गई, पांच गाडि़यां फूंक दी गई। वहीं जींद में नई भर्ती प्रक्रिया को लेकर विरोध करने की बातें सामने आई हैं, तो हिसार में भी युवाओं ने भर्ती प्रक्रिया के विरोध में ज्ञापन सौंपा है। हिसार के कंवारी और अन्य गांवों के युवाओं ने एक ज्ञापन तैयार किया है जिसमें उन्होंने साफ साफ लिखा है कि वे इस भर्ती प्रक्रिया को स्वीाकर नहीं करेंगे।
बता दें कि हिसार के महाबीर स्टेडियम में भी सुबह शाम जिले के कई युवा भर्ती की तैयारी करने के लिए आते हैं। इन युवाओं ने भी सामूहिक तौर पर नई भर्ती प्रकिया का विरोध किया है। युवाओं ने एकत्र होकर चेतावनी दी है कि अगर चार साल के लिए सेना में भर्ती करने के नियम को नहीं बदला तो वे आंदोलन करेंगे। इसके अलावा अन्य जगहों से भी भर्ती प्रक्रिया का विरोध करने की खबरें सामने आने लगी हैं।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अग्निपथ नामक सेना भर्ती योजना लागू की है। जिसके तहत सेना में चार साल के लिए युवाओं को भर्ती किया जाएगा। इन्हें अग्निवीर कहकर पुकारा जाएगा। युवाओं को चार साल तक 30 हजार रुपयों से शुरू होकर सेवानिवृत होने तक 40 हजार रुपये वेतन मिलेगा। मगर इसके बाद आर्मी में रहे कर्मी को किसी तरह की मेडिकल सेवा या कैंटीन सेवा का लाभ नहीं मिलेगा। इसके तहत सात महीने में 40 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी। मगर इस योजना का अब विरोध शुरू हो गया है।
युवाओं का कहना है कि देश में आर्मी की एक अलग ही पहचान है और सम्मान है। ऐसे में चार साल के लिए सेना में नौकरी देना एक तरह की ठेका प्रथा है। देश के लिए जीवन की कुर्बानी देना सम्मान की बात है मगर इस योजना से प्राणो के बलिदान की थी अहमियत नहीं रहेगी।
वहीं चार साल के बाद सेना में रहा व्यक्ति क्या करेगा। राज्यों में इन कर्मियों को वरीयता देने की बात जरूर कही गई है मगर वरीयता के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो बेरोजगार व्यक्ति अवसाद में आ सकता है। ऐसे में यह भर्ती प्रक्रिया बेहद गलत है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार को इसे वापस लेना ही होगा।