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हड़प्पा सभ्यता दर्शन की थी 'मनोहर' मंशा, सरकारी बाबुओं की उदासीनता के भंवर में लगा रही गोते

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से स्वीकृति के सवा साल बाद भी सात हजार साल पुरानी हड़प्पा-पूर्व संस्कृति का संग्रहालय अपनी नींव से दूर है। आलम यह कि फतेहाबाद के कुनाल में बनने वाले इस बहुआयामी संग्रहालय की नींव निर्माण की जमीन से दूर है।

By Naveen DalalEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 03:29 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jan 2022 06:37 PM (IST)
हड़प्पा सभ्यता दर्शन की थी 'मनोहर' मंशा, सरकारी बाबुओं की उदासीनता के भंवर में लगा रही गोते
बहुआयामी संग्रहालय के टेंडर लगने में लगेंगे अभी और दो माह।

मणिकांत मयंक, फतेहाबाद। हड़प्पा-पूर्व संस्कृति को समेटे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है कुनाल। प्राचीनतम भी। यहां करीब सात हजार साल पहले की भारतीय सनातनी सभ्यता व संस्कृति के अनेक साक्ष्य जब-तब खोदाई के दरम्यान मिले हैं। स्वर्ण-जड़ित मुकुट से लेकर रहन-सहन, खान-पान, आजीविका के संसाधनों व आर्थिक गतिविधियों के प्रचुर स्रोत के प्रमाणों ने सरकार का ध्यान भी आकृष्ट किया है। तभी सरकार ने यहां पुरानी सभ्यता के दर्शन की मनोहर मंशा जताई है। काश, मनोहर सरकार की मंशा को निर्माण का आधार मिल पाता। करीब दो करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट तो अब तक सरकारी बाबुओं की उदासीनता के भंवर में गोते लगा रहा है।

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सीएम स्वीकृति मिलने के बाद अधर में पड़ा निर्माण कार्य

आलम यह कि कुनाल में बनने वाले इस बहुआयामी संग्रहालय की नींव निर्माण की जमीन से दूर है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल से स्वीकृति मिलने के करीब सवा साल बाद भी निर्माण को टेंडर नहीं मिल पाया है। निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग का मानना है कि अभी दो माह और टेंडर प्रोसेस में लग जाएंगे। सवा साल बाद टेंडर प्रोसेस ? समझा जा सकता है कि बाबूगीरी किस कदर लेटलतीफी की दलदल में जा धंसी है। ऐसा तब है जबकि पुरातत्व विभाग ने 1 करोड़, 97 लाख रुपये लोक निर्माण विभाग के खाते में भी डाल दिया है। यह राशि विभाग के मुख्यालय को भेजी गई है। स्थानीय विभाग को इसकी जानकारी तक नहीं है। उधर, पुरातत्व विभाग को हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के सिवाय कोई चारा नहीं है। कारण कि निर्माण के मामले में एजेंसी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। कुल मिलाकर अभी शिक्षा, शोध और सनातन से साक्षात का यह संग्रहालय अपने वजूद से कोसों दूर है। सो, सीएम मनोहर लाल से स्वीकृति उपरांत छह माह में संग्रहालय निर्माण के दावे खोखले ही नजर आते हैं।

यह था संग्रहालय के स्वरूप का कांसेप्ट

  • टीलानुमा साइट
  • पैरामीट्रिक छत
  • अवशेष आधारित सजी हुई बाहरी दीवार
  • गैलरी में हल्के पीले रंग के पत्थर का फर्श
  • वेंटिलेशन आधारित गैलरीज होंगी
  • चेन लिंक फेंसिग से बाउंडरी बनेगी
  • गर्मी को संतुलित रखने के लिए हरियाली
  • रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के साथ-साथ सोलर सिस्टम

टेंडरिंग में दो माह मानकर चलें

संशोधित एस्टीमेट बनाया गया है। एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल मिल गई है। जहां तक निर्माण की बात है तो पहले टेंडर की प्रोसेस करेंगे। टेंडरिंग में दो माह मानकर चलें। टेंडर के बाद ही तो निर्माण में हाथ लगेंगे। विभाग इस पर काम कर रहा है।

---- कृष्ण गोयत, कार्यकारी अभियंता, लोक निर्माण विभाग फतेहाबाद।

राज्य पुरातत्व विभाग उपनिदेशक के अनुसार

पीडब्ल्यूडी को पैसा भेज दिया है। विभाग के हेड आफिस के खाते में पैसा चला गया है। डिपार्टमेंट अपने प्रोपोजल पर काफी संजीदा है। लोक निर्माण विभाग हमारी निर्माण-एजेंसी है। टेंडर होने के बाद संग्रहालय के निर्माण की शुरुआत हो जाएगी। ऐसा हमें विश्वास है।

--- डा. बनानी भट्टाचार्य, उपनिदेशक, राज्य पुरातत्व विभाग।


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