नदीम बोरवेल केस से सबक ले प्रशासन ने उठाया अहम कदम, मदद के अभाव में नहीं जाएगी जान
हादसे में आर्मीएनडीआरएफएसडीआरएफ समेत सभी एजेंसियों की एक क्लिक में ली जा सकेगी मदद। सरकारी व प्राइवेट एजेंसियों के पास कितनी और किस प्रकार की मशीनरी है इसका होगा डेटाबेस तैयार
हिसार [वैभव शर्मा] होली के दिन बालसमंद गांव में बोरवेल में गिरे नदीम को करीब 49 घंटों बाद बोरवेल से निकाला जा सका था। नदीम को बचाने के लिए प्रशासन ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था, कुछ समय भी बर्बाद होता तो बच्चे की जान जा सकती थी। इस मामले में डीसी अशोक कुमार मीणा की भूमिका काफी सराही गई। उन्होंने इस प्रकरण के साथ भिवानी में भवन के गिरने के मामले को भी अच्छी तरह समझा ऐसे में कई बिंदू सामने आए।
जैसे उस समय आर्मी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ आदि में से किस एजेंसी से सहायता लेनी थी कर्मचारियों को नंबर ही नहीं मिला, नंबर मिला तो किस अधिकारी से बात करनी है, यह पता नहीं था। इसके बाद बोरवेल जैसे मामलों में किस प्रकार का मशीनों का प्रयोग किया जाता है, उन मशीनों को कहां से मंगाया जाएगा यह भी किसी को पता नहीं था। नदीम को बचाने के मामले में ऐसी एक नहीं बल्कि कई समस्याएं पेश आईं। ऐसे में डीसी ने भविष्य में ऐसे मामलों पर राहत बचाव कार्य को तेज किया जा सके, इसके लिए रिसोर्स मैनेजमेंट एप तैयार कराई है। इस एप को एनआइसी द्वारा तैयार किया जा रहा है।
सरकारी और प्राइवेट लोगों की होगी जानकारी
इस एप में प्रशासन पीडब्ल्यूडी, एनएचएआइ, पंचायती राज सहित सभी निर्माण एजेंसियों पर मौजूदा जेसीबी आदि मशीनों का डाटा डाला जाएगा। इसके साथ ही अगर शहर में किसी के पास बड़ी-बड़ी मशीनें हैं, उनसे जुड़ी जानकारी, उनका नंबर आदि भी शामिल किया जाएगा, ताकि अगर कोई आपात स्थिति फंसे तो त्वरित एक्शन लिया जा सके। इसके साथ ही कई बार बड़े-बड़े आंदोलनों के लिए मोबाइल नेटवर्क को भी बंद कराना पड़ता है, ऐसे में मोबाइल नेटवर्क प्रोवाइडर्स के नंबर भी इसमें दर्ज होंगे। इस एप की खास बात होगी कि अगर किसी की सहायता लेने के लिए प्रशासन को कोई आदेश जारी करना है तो वह एक क्लिक से आदेश जारी कर सकेंगे। आदेश किसी कर्मचारी से टाइप कराने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि जब तक आदेश टाइप होते हैं, काफी समय बीत जाता है।
एप का सबसे पहले चुनाव में फिर आपदा के समय होगा प्रयोग
रिसोर्स मैनेजमेंट एप का प्रयोग सबसे पहले इस बार विधानसभा चुनावों में किया जाएगा, जिसमें इस एप की मदद से किस बूथ पर कंप्यूटर भेजने हैं, कितनी संख्या में भेजने हैं, सीसीटीवी की व्यवस्था, कर्मचारियों का डाटा आदि का प्रबंधन किया जाएगा। इसके साथ ही उन जगहों से जुड़े अधिकारियों को एक कॉल इसी एप से की जा सकती है। चुनावों के बाद इस एप में सामान्य डाटा अपडेट किया जाएगा फिर आपदा से संबंधित सभी जानकारियां इसमें दर्ज होंगी। इस एप को यूं तो आपदा के लिए ही बनाया जा रहा है, मगर प्रशासन इसका प्रयोग चुनावों में भी करेगा। इस एप में जिला और आस-पास के जिलों से संबंधित एक बड़ा डाटा बैंक होगा जो हर माह अधिकारियों की बैठक के साथ अपडेट किया जाएगा।
----नदीम के मामले में हमने सबक लिया है कि हम आपात स्थितियों के आने का इंतजार न करते हुए इनके निपटने के लिए खुद का सिस्टम डेवलप करेंगे। रिसोर्स मैनेजमेंट एप इसी का उदाहरण है। इसको हम आपदा में ही नहीं बल्कि सामान्य रूप से भी प्रयोग करेंगे।
-अशोक कुमार मीणा, उपायुक्त, हिसार