अभय चौटाला के बड़े भाई के बारे में अमर्यादित बोल, अजय चौटाला के बारे में कही ऐसी बात
इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने बड़े भाई अजय सिंह चौटाला के खिलाफ अमर्यादित बोल कह दिए। उन्होंने डबवाली में कहा कि अजय सिंह के हाथ दूसरों के जेब में होते थे।
डबवाली (सिरसा), जेएनएन। इनेलो विधायक दल के नेता अभय चौटाला की परिवार में विवाद व पार्टी मे टूट के बाद भी बड़े भाई अजय सिंह चौटाला और भतीजों के प्रति कड़वाहट कम होने के बजाए बढ़ गई है। अभय चौटाला बुधवार को यहां इनेलाे के कार्यकर्ता सम्मेलन में परिवार और पार्टी में टूट की कहानी बयां करते हुए आपे से बाहर हो गए। वह बड़े भाई अजय चौटाला के प्रति अमर्यादित बोल कह गए। उन्होंने कहा कि अजय सिंह के हाथ तो दूसरों की जेब में होते थे। उन्होंने दोनों भतीजों दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला पर भी कड़े हमले किए।
डबवाली की बिश्नोई धर्मशाला में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में अभय ने अजय और उनके बेटों दुष्यंत व दिग्विजय को इनेलो से निष्कासित किए जाने की पूरी कहानी सुनाई। उन्होंने कार्यकर्ताओं को बताया कि किन हालातों के कारण यह कदम उठाना पड़ा। बता दें कि अजय चौटाला पहले डबवाली सीट से विधायक थे और अब उनकी पत्नी नैना चौटाला यहां से विधायक हैं।
डबवाली से पांच साल एमएलए रहा है अजय सिंह, उसका हाथ दूसरों की जेब में ही रहता था
सम्मेलन में अभय चौटाला ने कार्यकर्ताओं से संवाद किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, आप अजय सिंह को अच्छी तरह से जानते हो। आपका यहां का एमएलए रहा है। उस पांच साल के अरसे में क्या वह एक नया पैसा किसी गांव में देकर गया था? किसी से ले बेशक लिया, पैसा तो कभी निकालकर दिया नहीं। उसका हाथ दूसरों की जेब में रहता था।
कार्यकर्ताओं को सुनाई भाई अजय चौटाला और भतीजों दुष्यंत व दिग्विजय के इनेलो से निष्कासन की कहानी
अभय चौटाला ने इससे पहले भतीजों के निष्कासन की कहानी बयां की। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इलाके में घूम रहे हैं। जो दांव लगाना चाहते हैं। ऐसे लोगों ने भाजपा-कांग्रेस के हाथों में खेलकर षड्यंत्र के तहत इनेलो को कमजोर करने की कोशिश की। अभय इस दौरान एक बुजुर्ग कार्यकर्ताओं से सवाल किया- 'क्या कोई बुजुर्ग अपने घर से पोतों को निकालता है?' फिर खुद ही बोले, निकालता तब है जब पोते अपनी मनमर्जी पर आ जाते हैं। ओमप्रकाश चौटाला जैसे व्यक्ति को पूरे देश के लोग सुलझा हुआ राजनेता मानते हैं। क्या वह कभी इस तरह का फैसला ले सकते हैं?
अभय चौटाला ने कहा, निष्कासन का फैसला एक मजबूरी थी। चौटाला साहब ने दोनों (दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला) को छह बार समझाया। लेकिन, जब उन लोगों ने उनके सामने खड़े होकर हुल्लड़बाजी की और यह दिखाने का प्रयाास किया हमारे से ताकतवर आज कोई नहीं है, तो आखिर में मजबूर होकर उनको (ओमप्रकाश चौटाला) यह फैसला लेना पड़ा।
अभय ने कार्यकर्ताओं से पूछा, अगर कोई बच्चा बार-बार समझाने के बाद कहना नहीं मानता है तो उसकाे कान पकड़कर बाहर निकालते हैं या नहीं? वह भतीजों के खिलाफ इतने पर भी नहीं रुके। उन्होंने कहा कि अब ये कहते हैं कि हमें निकाल दिया। इनको किसी ने नहीं निकाला। ये तो खुद निकले हैं, निकले भी लालच में हैं। इनका मकसद राज बनाना नहीं, जेब भरना था।
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