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जाति-धर्म के मसले से दुखी हो कोर्ट में लगाई याचिका, नास्तिक लिखने का मिला अधिकार

रवि ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि वह लंबे समय से यह महसूस करता था कि देश व विश्‍व में धर्म, जाति व बिरादरी तथा मजहब के नाम पर बांटा जा रहा है। इसलिए ये कदम उठाया है।

By manoj kumarEdited By: Published: Fri, 28 Dec 2018 06:38 PM (IST)Updated: Sat, 29 Dec 2018 09:01 PM (IST)
जाति-धर्म के मसले से दुखी हो कोर्ट में लगाई याचिका, नास्तिक लिखने का मिला अधिकार

फतेहाबाद/टोहाना, जेएनएन। मौजूदा समय में देश में धर्म व जाति के मसले को लेकर विवाद होने के मामले सामने आते रहते हैं। धर्म और जाति को लेकर बहुत से लोग गर्व महसूस करते हुए इसे उजागर करते हैं। वहीं हरियाणा के फतेहाबाद जिले में टोहाना निवासी रवि कुमार नामक व्यक्ति ने जाति-धर्म से उपर उठ अपने नाम के साथ कानूनी तौर पर नास्तिक शब्‍द जोड़ लिया है। कोर्ट से स्‍वीकृति मिलने के बाद उन्‍होंने अपनी दोनों बाजुओं पर अंग्रेजी भाषा में नास्तिक गुदवा लिया है। इतना हीं नहीं न्यायालय द्वारा मिले कानूनी हक के बाद उसने अपने शिक्षण प्रमाणपत्रों व आधार कार्ड पर रवि कुमार नास्तिक लिखवा दिया है।

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पिछड़ा वर्ग से संबंधित रवि कुमार बारहवीं कक्षा तक पढ़े अविवाहित युवक हैं। युवक का कहना है कि मौजूदा समय में देश में जाति व धर्म के नाम से लोगों को बांटने को लेकर घुटन महसूस कर रहा था। एक साल की जिदोजहद के बाद टोहाना न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले ने उसे नास्तिक होने का हक दिलाया। अब वह किसी भी धर्म या जाति से संबंध नहीं रखेगा। वहीं उसने अपना विवाह भी संविधान के अनुसार न्यायालय से ही करवाने की मन में ठानी है। रवि कुमार अब अपने नाम के बाद नास्तिक लिखने लगा है।

रवि ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि वह लंबे समय से यह महसूस करता था कि देश व विश्‍व में धर्म, जाति व बिरादरी तथा मजहब के नाम पर बांटा जा रहा है। उन्होंने अपने नाम के साथ नास्तिक लगाना शुरू कर दिया। कानूनी तौर पर मान्यता लेने के लिए उसने वर्ष 2017 में न्यायालय में इस संबंध में याचिका लगाई। जिसके लिए अधिवक्ता राजकुमार सैनी ने उसके केस की पैरवी की और उसे न्यायालय से कानूनी तौर पर नास्तिक लिखने का हक मिल गया। वैसे तो देशभर में नास्तिक कहलाने वाले व स्वयं को नास्तिक मानने वाले बहुत हैं, लेकिन न्यायालय के माध्यम से इस हक की बात करने वाले केवल रवि ही सुने गए हैं।

रवि कुमार नास्तिक के अधिवक्ता राजकुमार सैनी का कहना है कि उसने वर्ष 2017 में टोहाना न्यायालय में एक याचिका दायर की थी कि वह अपने नाम के पीछे किसी जाति धर्म को नहीं लिखना चाहता, बल्कि नास्तिक लिखना चाहता है। न्यायालय ने वर्ष 2018 में रवि कुमार को यह हक दे दिया कि वह अपने नाम के पीछे नास्तिक लिख सकता है। रवि ने यह हक मिलने पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि वह धर्म-जाति के बंधनों से पहले भी मुक्ति महसूस करता था लेकिन न्यायालय द्वारा उसे यह हक देने के बाद उसे बहुत खुशी हुई है।


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