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दोबारा नहीं जीत पाया बरवाला विधानसभा से जीतने वाला प्रत्याशी, क्‍या बदलेगा इतिहास या फिर नहीं

1966 में हरियाणा के गठन के बाद 1967 में हुए परिसीमन के दौरान बरवाला विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया। इस विधानसभा क्षेत्र के हर चुनाव के साथ कोई ना कोई रोचक कहानी जुड़ी हुई है

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 05:02 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 09:00 AM (IST)
दोबारा नहीं जीत पाया बरवाला विधानसभा से जीतने वाला प्रत्याशी, क्‍या बदलेगा इतिहास या फिर नहीं

बरवाला [राजेश चुघ] बरवाला विधानसभा क्षेत्र को कई नेताओं को फर्श से अर्श तक और अर्श से फर्श तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है। इतना ही नहीं इस विधानसभा क्षेत्र ने कई नेताओं को तो पहली ही बार में विधानसभा में पहुंचा कर उनका भाग्य बदलने का काम किया।

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1966 में हरियाणा के गठन के बाद 1967 में हुए परिसीमन के दौरान बरवाला विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया। वैसे तो इस विधानसभा क्षेत्र के हर चुनाव के साथ कोई ना कोई रोचक कहानी जुड़ी हुई है, परन्तु बरवाला विधानसभा से सबसे बड़ा रोचक तथ्य यह भी है कि यहां से जीतने वाला प्रत्याशी कभी दोबारा चुनाव नहीं जीत पाया।

यहां से विजयी विधायकों ने दोबारा अपना भाग्य बरवाला से ही आजमाया तो उन्हे पराजय का सामना करना पड़ा। इसके अलावा यहां से कभी कोई महिला विधायक नहीं बनीं। जितने भी विधायक बने वह पुरुष ही बने। हालांकि महिला प्रत्याशियों ने यहां से अपना भाग्य जरूर आजमाया परंतु भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। इस बार पिछली दफा हारने वाले प्रत्‍याशी सुरेंद्र पूनिया को बीजेपी का टिकट मिला है। वहीं कांग्रेस भी यहां से मजबूत प्रत्‍याशी उतारने की तैयारी में है। पिछली दफा रामनिवास घोड़ेला कांग्रेस की ओर से विधायक बने थे, अब देखना ये है कि क्‍या इस बार नया इतिहास रचा जाएगा।

नारंग शहर के पहले व्यक्ति जो विधायक बने

2014 के विधानसभा चुनाव में बरवाला विधानसभा से इनेलो की टिकट पर बरवाला शहर के निवासी वेद नारंग विधायक चुने गए। बरवाला शहर के रहने वाले वेद नारंग को शहर की ओर से पहला विधायक बनने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने भाजपा के सुरेंद्र पूनिया को पराजित किया था। बरवाला विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा के स्थानीय की बजाय बाहरी उम्मीदवार ज्यादा बार विधायक चुने गए। यही कारण रहा कि बरवाला विधानसभा क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा ही रहा। इस विधानसभा क्षेत्र से अब तक हुए 12 चुनावों में से केवल दो बार चुने गए विधायक ही मंत्री पद तक पहुंचे। इनमें 1987 की देवीलाल की लहर में जीते सुरेंद्र सिंह बरवाला शिक्षा मंत्री बने तो इसके बाद 1991 में कांग्रेस की लहर में जीत कर जोगिंद्र सिंह जोग प्रदेश के जेल मंत्री बने।

अब तक यह बने बरवाला विधानसभा से विधायक

1967 प्रभु सिंह, 1968 गोवर्धन चौहान, 1972 पीरचंद, 1977 जयनारायण वर्मा, 1982 इंद्र सिंह नैन, 1987 सुरेंद्र बरवाला, 1991 जोगिंद्र सिंह जोग, 1996 रेलू राम पूनिया, 2000 जयप्रकाश, 2005 रणधीर सिंह, 2009 रामनिवास घोड़ेला और 2014 में वेद नारंग विधायक बने।


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