Move to Jagran APP

फीस पूरी पर सुविधाओं का टोटा, बालसमंद गवर्नमेंट कॉलेज में बीकॉम की 90 प्रतिशत सीटें खाली

पिछले दो साल से प्राइमरी स्कूल में चल रहे कॉलेज की अब तक खुद की बिल्डिंग नहीं है। बिल्डिंग न होने के कारण दाखिला नहीं ले रहे है। क्षेत्र के विद्यार्थियों का कहना है कि विद्यार्थी कॉलेज में दाखिले के समय पूरी फीस देते है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 01:51 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 01:51 PM (IST)
जमीन मिलने के पेच फंसे होने से बालसमंद में विद्यार्थी राजकीय कॉलेज में दाखिला नहीं ले रहे हैं

बालसमंद [रवि घोड़ेला] राजस्थान सीमा से बालसमंद गांव के राजकीय कॉलेज में दाखिला लेने में विद्यार्थी रूचि नहीं दिखा रहे है। सुविधाओं के अभाव में छात्र दाखिला नहीं ले रहे है। पिछले दो साल से प्राइमरी स्कूल में चल रहे कॉलेज की अब तक खुद की बिल्डिंग नहीं है। बिल्डिंग न होने के कारण दाखिला नहीं ले रहे है। क्षेत्र के विद्यार्थियों का कहना है कि विद्यार्थी कॉलेज में दाखिले के समय पूरी फीस देते है। उसके बाद सुविधाएं न मिले तो उस परिसर में विद्यार्थी दाखिला लेने से कतराता है। बालसमंद कॉलेज में अब तक सरकार ने बिल्डिंग बनाने का प्रोसेस ही शुरु नहीं किया है। पूरी फीस देने के बाद भी कोई सुविधाएं नहीं मिल रही है।

loksabha election banner

बालसमंद कॉलेज में बीए में कुल 180 सीटे है जिसमे से 93 सीटों पर दाखिले हो चुके है और बीकॉम में कुल 60 सीटे है जिसमे से मात्र 6 सीटों पर दाखिले हुए है। इन सीटों पर भी दाखिले ज्यादातर उन विद्यार्थियों के हुए है जिन्हे ये लगता है कि उनके नंबर काम है और शहर के किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला होना मुश्किल है। जानकारी के मुताबिक 5 जुलाई 2018 से बालसमंद कॉलेज शुरू हुआ था। दो साल बीत जाने के बाद भी कॉलेज बिल्डिंग नहीं बन पाई है।

अस्थाई तौर पर कॉलेज की कक्षाएं गांव के ही प्राइमरी स्कूल में शुरू की गई थी। कक्षाएं दो साल स्कूल के स्कूल के कमरों में लग रही है। अब अगले सत्र में बिल्डिंग न होने के कारण तीनों सत्र के विद्यार्थियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। कॉलेज की न कोई अपनी बिल्डिंग है न कोई अपनी जगह है। अगर सरकार समय रहते बिल्ड़िंग नहीं बनवा पाई तो कॉलेज सुचारु चलना नामुमकिन है।

कॉलेज बिल्डिंग, खेल ग्राउंड, कमरों सहित काफी दिक्क़ते

अभी तक राजकीय कॉलेज बालसमंद की कक्षा गांव के ही प्राइमरी स्कूल में ही लगाई जा रही है। स्कूल में कमरों की संख्या, खेल ग्राउंड सहित काफी अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस सत्र से विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने के साथ स्कूल प्रशासन की परेशानियां भी बढ़ेगी।  

ये दिक्क्त आ रही आड़े

जिस जमीन पर कॉलेज बिल्डिंग बनवाई जानी है। उस जगह पर भाजपा नेत्री के ननिहाल पक्ष के लोगों ने कब्जा कर रखा है। पिछले चार वर्ष से अधिक समय से केस चलता आ रहा है। पंचायत काफी बार कोर्ट में केस भी जीत चुकी है। लेकिन सरकार इस प्रोसेस में कोई रूचि नहीं दिखा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.