घर में एक देसी गाय पालिये और 30 एकड़ तक की खेती में पाएं बंपर पैदावार
अगर अाप खेती करने के शौकीन हैं तो आपके लिए बेहद काम की खबर है। और खेती नहीं भी करते हैं तो भी आपकी सेहत से जुड़ी जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी।
भिवानी [जागरण स्पेशल] अगर अाप खेती करने के शौकीन हैं तो आपके लिए बेहद काम की खबर है। और खेती नहीं भी करते हैं तो भी आपकी सेहत से जुड़ी जानकारी आपके लिए लाभकारी साबित होगी। विशेषज्ञों के अनुसार एक देसी गाय आपकी 30 एकड़ तक खेती के लिए रामबाण साबित हो सकती है। इसके लिए गाय के गोमूत्र व गोबर का प्रयोग करें और खाद व दवा के खर्चों से आप बचे रहें। फसलों की गुणवत्ता बढ़ेगी और जमीन की उपजाऊ शक्ति में भी इजाफा होगा। गाय के गोबर व गोमूत्र के मिश्रण से बने जीवामृत को सप्ताह में तैयार कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार एक गाय दिनभर में 10 किलो गोबर व 10 लीटर गोमूत्र देती है। इससे एक एकड़ के लिए जीवामृत बनाया जा सकता है। इसके लिए 10 किलो गाय का गोबर, 10 किलो गोमूत्र, 200 लीटर पानी, 2 किलो बेसन व 2 किलो गुड की आवश्यकता होती है। इन सभी का एक ड्रम आदि में मिश्रण बना लें। इस मिश्रण में जिस खेत में इसका इस्तेमाल करना है उस खेत की 200-250 ग्राम मिट्टी डाल दें। मिश्रण को सप्ताहभर के लिए ढक कर रख दें। इस अवधि में यह तैयार हो जाएगा। तैयार होने के बाद मिश्रण (जीवामृत) को खेत में डाल दें। किसान अपनी सुविधा अनुसार किसी भी तरीके से इसे खेत में डाल सकता है। ताकि इसका लाभ खेती में मिल सके। विशेषज्ञों के अनुसार इसके प्रयोग से फसलों की गुणवत्ता में काफी सुधार आएगा। साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। इसके प्रयोग से खेत में पड़ी बिना उपयोग की खाद भी एक्टिव हो जाएगी।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जीवामृत खेत में डालने के बाद इसका असर 30 माह तक अधिक रहता है। इसके बाद फिर से किसान जीवामृत बनाकर खेत में डाल सकते हैं। ताकि फिर से इसका असर रहे। इसमें किसान ध्यान रखें की गोबर व मूत्र गाय का ही हो। हो सके तो साहीवाल व देशी गाय के गोबर व गोमूत्र का इस्तेमाल करें। देशी व साहीवाल गाय का गोबर व गोमूत्र अधिक उपयुक्त होता है। भैंस आदि पशुओं के गोबर या मूत्र का प्रयोग न करें। किसान के लिए गाय बहुत ही कारगर सिद्ध होगी। जहां किसान व उसका परिवार गाय का दूध पीकर अपना स्वास्थ्य बेहतर करेंगे। वहीं गाय के गोबर व गोमूत्र से खेत का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।
सप्ताहभर में होगा तैयार
जीवामृत बनाने के लिए बनाए गए मिश्रण को सप्ताहभर तक किसी ड्रम आदि में अच्छे से ढक कर रखें, ताकि हवा को रोका जा सके। सप्ताह भर में मिश्रण तैयार हो जाएगा। इसके बाद इसे देखकर भी पता लगा सकते हैं कि यह तैयार है या नहीं। यदि सप्ताहभर बाद इसमें से महक आने लगे या झाग हो जाएं तो समझ लें कि यह तैयार है। यदि ऐसा नहीं होता तो इसे एक या दो दिन और ढक कर रख दें।
सिचाई के समय भी डाल सकते हैं जीवामृत
किसान अपनी सुविधानुसार खेत में जीवामृत डाल सकते हैं। इसे सीधे स्प्रे के द्वारा डाल सकते हैं। साथ ही ङ्क्षसचाई करते समय यदि नहरी पानी से सिचाई कर रहे हैं तो पानी नाके पर ड्रम को रख दें और एक-एक बूंद नीचे गिरने दें। वहीं फव्वारे से ङ्क्षसचाई की जा रही है तो इसका छिड़काव ही उचित रहेगा।
सभी रोगों की एक दवा
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जीवामृत सभी रोगों के लिए एक की दवाई है। इसके छिड़काव से फसल में कोई भी बीमारी व कीट नहीं लगेगा। साथ ही अन्य कोई खाद डालने की जरूरत भी नहीं है। साथ ही किसान इससे बीच उपचार भी कर सकते हैं।
गाय के प्रति भी लोगों को बढ़ेगा रुझान
यदि किसान इस विधि को अपनाते हैं तो उनका गाय के प्रति रुझान बढ़ेगा। इससे बेकदर हो रही गायों को भी सहारा मिल सकेगा। वहीं आवारा पशुओं को में भी कमी आने की उम्मीद है। वहीं गाय पालने से आपको आत्मिक शांति के साथ इसका दूध पीने से निरोगी काया मिलेगी।
स्वास्थ्य के लिए अच्छी होगी फसल
जीवामृत के प्रयोग से तैयार फसल स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी होगी। जैविक खेती से फसलों की गुणवत्ता बेहतर होगी। इससे किसान कम खर्च में बेहतर गुणवत्ता की फसल प्राप्त कर सकते हैं।
30 एकड़ के लिए उपयुक्त होगी एक गाय
गाय के एक दिन के गोबर व गोमूत्र से एक एकड़ के लिए जीवामृत बनाया जा सकता है। यह जीवामृत खेत में 30 दिनों तक सक्रिय रहेगा। इसी प्रकार लगातार 30 दिन तक 30 एकड़ के लिए जीवामृत बनाया जा सकता है। इसके बाद यही विधि दोबारा दोहराई जा सकती है।
विशेषज्ञ बोले- जीवामृत किसानों के लिए वरदान
कृषि विज्ञान केंद्र वरिष्ठ संयोजक प्रो. वेदप्रकाश लुहाच ने कहा कि जीवामृत किसानों के लिए वरदान है। इसे किसानों को प्रयोग करना चाहिए। इससे फसलों की गुणवत्ता बढ़ेगी और खर्च भी घटेगा। साथ ही जमीन की उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाएगा। जीवामृत किसान व जमीन दोनों के लिए अमृत सिद्ध होगा।