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और लंबी होती गई इंतजार की घडिय़ां, 49 घंटों में तब्दील हुआ 15 घंटो का मिशन

हिसार। 55 फीट बोरवेल में बुधवार शाम साढ़े चार बजे गिरे 15 माह के नदीम को निकालने के लिए रात नौ बजे तक सारे इंतजाम कर दिए गए। रात आठ बजे आर्मी पहुंची तो ग्यारह बजे गाजियाबाद से एनडीआरएफ की टीम।

By manoj kumarEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 03:40 PM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 03:40 PM (IST)
और लंबी होती गई इंतजार की घडिय़ां, 49 घंटों में तब्दील हुआ 15 घंटो का मिशन
और लंबी होती गई इंतजार की घडिय़ां, 49 घंटों में तब्दील हुआ 15 घंटो का मिशन

मनोज कौशिक, हिसार। 55 फीट बोरवेल में बुधवार शाम साढ़े चार बजे गिरे 15 माह के नदीम को निकालने के लिए रात नौ बजे तक सारे इंतजाम कर दिए गए। रात आठ बजे आर्मी पहुंची तो ग्यारह बजे गाजियाबाद से एनडीआरएफ की टीम। चार जेसीबी सहित एक पोपलैंड मशीन से खोदाई भी शुरू हो गई। ट्रैक्टरों से मिट्टी भी हटाई जाने लगी। माना जा रहा था कि सुबह आठ बजे तक नदीम को निकाल लिया जाएगा। मगर फिर ऐसा क्या हुआ कि नदीम को निकालने में 49 घंटे लग गए। दैनिक जागरण के विश्लेषण में जाना कि वो क्या वजह रहीं जिनसे इंतजार की घडिय़ां और भी ज्यादा लंबी होती गई। बोरवेल में डाले गए वीएलसी कैमरे से नदीम की हर तरह की मूवमेंट देखी जा रही थी। मगर एक के बाद एक करके आ रही परेशानियों और मिट्टी की तीन परतों ने तेजी से खोदाई करने वाले लोगों के हाथों की रफ्तार को रोक दिया।

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जिसे समझा 20 फीट की दूरी वो निकली करीब 35 फुट दूरी

बोरवेल से ठीक 20 फीट दूरी पर खोदाई शुरू की गई। बुधवार को खोदाई के बाद शुक्रवार की सुबह मिट्टी फिर से अंदर जा गिरी और इसे हाथों से निकाला गया। गुरुवार की रात 3 बाई 3 फीट की शुरू की गई सुरंग जब शुक्रवार की दोपहर तक करीब 26 फुट खोदने के बाद भी बच्चा नहीं मिला, तो खोदाई रोक दी गई। माना गया कि खोदाई गलत दिशा में की जा रही है। सुरंग को फिर आगे से दो फीट चौड़ा भी किया गया। इसके बाद करीब दस फीट खोदाई की गई और बच्चे तक पहुंचा गया।

बच्चे की नहीं मिली सही लोकेशन, फिर मंगवाई मशीन

बहुत गहराई में जाने के बाद सेटेलाइट जीपीएस मशीन के काम नहीं करने पर बच्चे की लोकेशन सही से नहीं मिली। इसके बाद एक्जेक्ट लोकेशन मशीन को मंगवाया गया। शुक्रवार को करीब 2:30 बजे मशीन से बच्चे की सही लोकेशन मिली। इसके बाद तेजी से काम किया गया और करीब 35 फुट की सुरंग खोद बच्चे को उपर खींच लिया गया। इस दौरान बच्चे की हालत नाजुक होने की चिंता भी सताती रही।

लोहे के औजारों से करनी पड़ी खोदाई, बना रहा भय

41 फुट तक जेसीबी से खोदाई करने के बाद निर्णय किया गया कि आगे की खोदाई लोहे के औजारों से की जाएगी। गुरुवार की दोपहर तक भी खोदाई महज चार से पांच फीट तक ही हो पाई। इंतजार और बढ़ता गया। 46 फीट तक की खोदाई शाम तक हो पाई और माना गया कि गुरुवार की देर रात तक नदीम तक पहुंचा जा सकेगा, मगर ऐसा नहीं हुआ। गुरुवार की रात दो बजे तक 51 फीट की खोदाई हुई और सुरंग बनाने का काम शुरू किया गया।

सुरंग खोदने के दौरान मिट्टी की तीन परतों ने रोके हाथ

बालसमंद गांव के सरपंच प्रतिनिधि महेंद्र सिंह ने बताया कि सुरंग खोदने के दौरान मिट्टी की तीन परतों से सामना हुआ। कुदाल भूप जांगड़ा ने बताया कि पहले पीली मिट्टी फिर भुरभुरी मिट्टी और फिर पथरीली मिट्टी सामने आई। लोहे के औजार भी जवाब दे गए, तो पेड़ लगाने वाली मशीन से खोदाई करने का प्रयास किया। मिट्टी बार बार नीचे गिर रही थी।

फर्जी फोटो और जानकारी ने किया काम को प्रभावित

ऑपरेशन को लेकर फर्जी फोटो और जानकारियों ने पुलिसकर्मियों को दौड़ाए रखा। सोशल मीडिया पर बोरवेल से निकाले जा रहे बच्चे की फोटो तो कभी नदीम को बोरवेल से निकाले जानी की गलत जानकारी वायरल की गई। इसके बाद आसपास के ग्रामीणों की संख्या बढ़ती गई। इसके कारण खोदाई का काम प्रभावित हुआ। इसी तरह की एक फेक फोटो पर एमएलए रेनुका बिश्नोई ने भी बच्चा सुरक्षित निकाला लिखते हुए ट्वीट कर दिया।


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