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एमबीबीएस में पेड सीट पर दाखिला दिलाने के नाम पर 10 लाख की धोखाधड़ी

जागरण संवाददाता हिसार एमबीबीएस में पेड सीट पर दाखिला दिलवाने के नाम पर दस लाख रुपये से ज्

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 05:20 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 06:16 AM (IST)
एमबीबीएस में पेड सीट पर दाखिला दिलाने के नाम पर 10 लाख की धोखाधड़ी
एमबीबीएस में पेड सीट पर दाखिला दिलाने के नाम पर 10 लाख की धोखाधड़ी

जागरण संवाददाता, हिसार : एमबीबीएस में पेड सीट पर दाखिला दिलवाने के नाम पर दस लाख रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। धोखाधड़ी के बारे में जब पुलिस लाइन एरिया निवासी दिलबाग सिंह को पता चला तो उन्होंने अक्टूबर 2019 में पुलिस से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय तक शिकायत भेजी। हालात यह है कि पुलिस ने 9 माह बाद यह मामला दर्ज किया है। पुलिस ने दर्ज एफआइआर में दर्शाया है कि 22 जनवरी 2020 को शिकायत मिली थी। उसके बावजूद भी उसको पांच माह मामला दर्ज करने में लग गए।

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पुलिस को दिलबाग सिंह ने बताया कि उनकी बेटी ने 2019 में 12वीं पास की थी। नीट का एग्जाम उसने दिया और काउंसिलिग में अप्लाई किया। उसका पहले दो राउंड सिलेक्शन नहीं हुआ। उसके बाद 4 अगस्त 2019 को सुमित नाम के व्यक्ति ने फोन कर दाखिला ऐसे नहीं होने की बात कही। सुमित की बातों में आकर परिवार ने एक मेल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर को लिखी। उसके बाद 8 अगस्त को उन्हें मोबाइल पर एप्लीकेशन रिसीव होने की बात कही गई। बाद में उनको 2 सितंबर को कानपुर के एक मेडिकल कालेज में पेड सीट पर दाखिला करवाने के लिए सुमित ने दस लाख रुपये लेकर बुलाया। परिवार के लोग कानपुर पैसा लेकर गए और 4 सितंबर को कानपुर कालेज में सुमित ने मोहन से मिलवाया। उसके साथ अनिल नाम का व्यक्ति भी था। उन्होंने दस लाख रुपये उन्हें दे दिये। तीनों ने उस समय 36 हजार रुपये फीस भी भरवाई और बाद में उनको दाखिले का कॉल लेटर घर पर आने की बात कही। कुछ दिन तक पर कोई पत्र नहीं आया तो दिलबाग ने कालेज में फोन कर दाखिले के बारे में पूछा। इस पर कालेज प्रशासन ने उनको 4 सितंबर में कोई भी दाखिला नहीं होने की बात कही। इस पर दिलबाग ने सुमित को फोन मिलाया लेकिन उसका फोन बंद था। दिलबाग ने इसकी शिकायत अक्टूबर में ही हिसार पुलिस अधीक्षक, सिविल लाइन थाना के अलावा पीएम ऑफिस व अन्य अधिकारियों को भेज दी थी। शिकायत करने के बावजूद 25 जून को पुलिस ने मामला दर्ज किया है। नौ माह तक पुलिस विभाग की टेबल पर ही शिकायत घूमती रही।


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