हिसार में सॉफ्ट ड्रिंक कंपनियों से वसूले 1.10 करोड़ रुपये, चल रहा था जीएसटी चोरी का खेल
इन कंपनियों के दस्तावेजों की जांच के लिए अधिकारियों ने पिछले कुछ दिनों में लगातार छापेमारी की थी। इस दौरान कंपनी की खरीद बिक्री से जुड़े दस्तावेजों को वस्तु एवं सेवा कर विभाग की टीम अपने साथ ले आई थी।
हिसार, जेएनएन। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग की हिसार डिविजन ने हिसार की तीन सॉफ्ट ड्रिंक बनाने वाली कंपनियों से 1.10 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स की रिकवरी की है। इन कंपनियों के दस्तावेजों की जांच के लिए अधिकारियों ने पिछले कुछ दिनों में लगातार छापेमारी की थी। इस दौरान कंपनी की खरीद बिक्री से जुड़े दस्तावेजों को वस्तु एवं सेवा कर विभाग की टीम अपने साथ ले आई थी। इसके बाद कार्यालय में इनकी जांच की गई।
अधिकारियों ने जांच में पाया कि पॉलिसी को लागू कराने में हीलाहवाली है। इसमें सोडा वॉटर पर 40 फीसद जीएसटी दिया जाना था, मगर 12 फीसद ही दिया जा रहा था। जीएसटी लागू होने के बाद नियमों में बदलाव किए गए थे, जिसकी पालना इन कंपनियों में नहीं हो रही थी। ऐसे में तय टैक्स के अनुसार कंपनियों से बकाया टैक्स भरवा लिया गया है। साथ ही आगे के लिए नियमानुसार टैक्स भरने के लिए निर्देशित किया गया है।
अन्य कंपनियों पर भी देखा जाएगा यह टैक्स
हिसार रेंज में ऐसी कई कंपनियां हैं जो फ्रूट जूस व सॉफ्ट ड्रिंक का प्रोडक्शन करती हैं। ऐसे में अधिकांश में जीएसटी को लेकर यह कमी जरूर मिलेगी। इसको लेकर दूसरे स्थानों पर भी सेंट्रल जीएसटी की टीम पहुंच सकती है क्योंकि कई कंपनियों से अभी भी 12 फीसद टैक्स ही आ रहा है। सिरसा जिला में भी कई ऐसी कंपनियां हैं। हालांकि इस मामले पर अभी सेंट्रल जीएसटी विभाग के अधिकारी आधिकारिक जानकारी नहीं दे रहे हैं। कोरोना काल में टैक्स को लेकर सक्रियता बढ़ाई गई है। जीएसटी में प्रत्येक छोटे-छोटे बिंदुओं को देखा जा रहा है ताकि सरकार को टैक्स की पूर्ति व चोरी पर लगाम लगाई जा सके।
कार्ड स्वैपिंग मामले में इनकम टैक्स से लेकर दूर संचार विभाग को लिखा
वहीं कुछ समय पहले सेंट्रल जीएसटी विभाग ने हिसार व आसपास के जिलों में गिफ्ट कार्ड के जरिए कमीशन के खेल का भंडाफोड़ किया था। इसमें कुछ टैक्स तो आ गया मगर मामला इतना बड़ा निकलेगा इसका किसी भी अधिकारी को अंदाजा नहीं था। इस मामले में लोगों के पैन कार्डों, पहचान पत्र का बल्क में प्रयोग किया गया है। दस्तावेजों के सहारे बल्क में सिम अलॉट कराई गई हैं तो वहीं बैंकों से भी बल्क में कार्ड खरीदे गए हैं। ऐसे में इस मामले में आयकर विभाग, दूरसंचार विभाग, आरबीआइ आदि एजेंसियों को सेंट्रल जीएसटी विभाग की हिसार डिविजन द्वारा पत्र भेजा गया है ताकि वह अपने-अपने क्षेत्रों में जांच कर कार्यवाही कर सकें।