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शौर्य गाथा: गोलियां लगने के बावजूद दस घंटे तक थामे रखा था मोर्चा

पैरों में दो गोलियों के साथ पूरे शरीर में कई जगहों पर छर्रें लगने के बावजूद कारगिल युद्ध के दौरान लांस नायक सतबीर ने चार दुश्मनों को ढेर कर दिया था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 06:26 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 06:26 PM (IST)
शौर्य गाथा: गोलियां लगने के बावजूद दस घंटे तक थामे रखा था मोर्चा
शौर्य गाथा: गोलियां लगने के बावजूद दस घंटे तक थामे रखा था मोर्चा

जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली: पैरों में दो गोलियों के साथ पूरे शरीर में कई जगहों पर छर्रें लगने के बावजूद कारगिल युद्ध के दौरान लांस नायक सतबीर ने चार दुश्मनों को ढेर कर दिया था। उन्होंने 15 हजार फीट ऊंची चोटी तोलोलिग पर करीब दस घंटे तक मोर्चा थामे रखा था। कारगिल युद्ध में भाग लेने वाले सतबीर सिंह बुराड़ी के मुखमेलपुर गांव के निवासी हैं।

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वह कहते हैं कि वर्ष 1999 की 12 जून की रात की यादें आज भी उनके जेहन में जिदा हैं। उस रात 11 बजे करीब 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित तोलोलिग हिल पर उनका पाकिस्तानी सैनिकों व घुसपैठियों से सामना हुआ था, जो उनसे ऊंचाई पर थे। कुल 24 सैनिकों की तीन टीम एक दिन व दो रात की चढ़ाई के बाद दुर्गम तोलोलिग हिल पर पहुंची थी। पहाड़ी पर चढ़ते ही उनकी नजर ऊंचाई पर मौजूद दुश्मनों पर जैसे ही पड़ी तो उन्होंने हैंड ग्रेनेड से उन पर हमला किया, लेकिन हैंड ग्रेनेड के फटने से पहले ही अपनी राइफल से कुछ ही सेकेंड में तीस गोलियां दुश्मनों पर बरसा दीं। जिससे तीन दुश्मन मौके पर ही ढेर हो गए। मेजर सहित सात सैनिक हो गए थे शहीद:

गोलियों व हैंड ग्रेनेड के हमले के बाद दुश्मनों ने ऊंचाई से ही हेवी मशीनगनों से गोलियां व हथगोले बरसाने शुरू कर दिए । दुश्मनों ने पहाड़ी पर तीन तीन मंजिल के बंकर बना रखे थे। दुश्मनों ने उस इलाके को करीब डेढ़ सालों से कब्जे में ले रखा था और ऊंचाई पर होने के कारण उन्हें भारतीय सेना की हर गतिविधियों का पहले से ही पता चल जाता था, लेकिन यह हमला उनके लिए अप्रत्याशित था। गोलियों की बौछार से दुश्मन दल के कई सदस्य मौत की नींद सो चुके थे। अंत में दो बचे थे, जिनमें एक को सतबीर ने मार गिराया। इस दौरान कंपनी कमांडर विवेक गुप्ता समेत कुल सात सैनिक शहीद हो चुके थे।

सतबीर के दाहिने पैर में दो गोलियां लगी थीं और उनके पीछे चल रहे राजस्थान के सुरेंद्र सिंह को भी गोलियां लगी थीं, लेकिन सतबीर व उनके साथी दुश्मनों की अंधाधुंध फायरिग के बीच उन्हें शिकस्त देते हुए सुबह साढ़े चार बजे दुश्मनों के अड्डे तक पहुंच गए और हजारों फीट ऊंचाई पर तिरंगा फहरा दिया।

इसके बाद भी सतबीर व उनके साथियों ने दस घंटे तक मोर्चा जमाए रखा, जब तक दूसरे सैन्य दल ने वहां पहुंचकर मोर्चा थाम नहीं लिया। शरीर में नहीं बचा था खून

गोलियां लगने के कारण सतबीर के शरीर से लगातार खून बह रहा था। जब उन्हें द्रास सेक्टर के बेस अस्पताल में पहुंचाया तो उनके शरीर में खून की बेहद कमी थी, लेकिन डाक्टरों ने लंबे इलाज के बाद उन्हें बचा लिया।


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