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निपाह वायरस का खौफ, दक्षिण से आ रहे फलों की खरीद से परहेज

केरल में निपाह वायरस के बढ़ते खौफ के बीच साइबर सिटी के लोग भी काफी सतर्क हो गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 07:01 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 07:01 PM (IST)
निपाह वायरस का खौफ, दक्षिण से आ रहे फलों की खरीद से परहेज

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: केरल में निपाह वायरस के बढ़ते खौफ के बीच साइबर सिटी के लोग भी काफी सतर्क हो गए हैं। वह दक्षिण भारत खासकर केरल से आने वाले फलों की खरीद से परहेज करने लगे हैं। शहर के फल विक्रेताओं का कहना है कि इसका सबसे अधिक असर आमों की खरीद पर पड़ता दिख रहा है। पिछले साल भी निपाह वायरस के कारण फलों के कारोबार में मंदी का असर दिखा था। बता दें कि पिछले साल हिमाचल प्रदेश में भी निपाह फैला था। ऐसे में इस बार भी लोग वहां से आने वाले फलों की खरीद से बच रहे हैं।

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गुरुग्राम के फल विक्रेताओं का कहना है कि निपाह वायरस का खौफ ऐसे ही जारी रहा तो उनका कारोबार बुरी तरह से प्रभावित होगा। लोग फलों की खरीद से पहले यह पूछ रहे हैं कि यह कहां से आया है। केरल ही नहीं दक्षिण भारत से आने वाले फलों को लेकर भी लोग सशंकित हैं। फल विक्रेता सरताज का कहना है कि दक्षिण भारत से आम काफी आ रहे हैं मगर उनको खरीदने वाले कम हो रहे हैं। ओल्ड रेलवे रोड पर फल की दुकान लगाने वाले सुरेश कुमार का कहना है कि केरल से आने वाली खजूर पहले खूब बिकते थे मगर निपाह के कारण इनके मांग में कमी आ गई है। खुले खजूर की बिक्री पर सबसे अधिक असर पड़ा है।

कर्नाटक से आने वाले केले, केरल से आने वाले अनानास, आंध्र प्रदेश के आम, आंध्र प्रदेश की मौसमी व पपीता की मांग काफी कम हो गई है। गुरुग्राम में रहने वाले दक्षिण भारत के लोगों की संख्या काफी है। वह भी अपने यहां से आने वाले फलों से किनारा करते दिख रहे हैं। ऐसे फैलता है निपाह

निपाह वायरस का पता सबसे पहले 1999 में उस समय चला जब मलेशिया में सुअर पालने वाले किसानों के बीच यह फैला। 2001 में यह बांग्लादेश को अपनी गिरफ्त में लिया। भारत के केरल में समय-समय पर इसका कहर दिखता है। इस महामारी के फैलने का सबसे संभावित स्रोत चमगादड़ों के मूत्र, लार से संक्रमित फलों व उनसे निर्मित उत्पाद का सेवन है। वैसे देखा जाए तो यहां निपाह वाइरस को लेकर गुरुग्राम में किसी प्रकार का डर नहीं है। फिर भी इस मामले में सावधानी बरतनी जरूरी है। किसी भी प्रकार से कटे-फटे फलों को खाने से लोगों को बचना चाहिए। अब तक इसकी कोई वैक्सीन या दवा नहीं है ऐसे में इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।

-डॉ. नवीन कुमार, वरिष्ठ फिजिशियन, नागरिक अस्पताल

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