शिकायतकर्ताओं ने कहा, सीएम ¨वडो सिर्फ नाम ही बड़ा
समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद लोग न्याय की उम्मीद से सीएम ¨वडो पर शिकायत करते हैं। यहां की गईं शिकायतों का जो हश्र होता है उसके काफी लोग निराश हो रहे हैं। न्याय पाने की उनकी उम्मीद भी धराशायी हो जाती है। यहां अर्जी लगाने वालों का कहना है कि इसका तो सिर्फ नाम ही बड़ा है। काम तो सरकारी विभागों जैसा ही है। अब तो लोग यहां तक कहने लगे हैं कि सीएम ¨वडो पर शिकायत करना अपना समय बर्बाद करना है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह अपना महत्व लोगों के बीच किस कदर खोता जा रहा है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: समस्याओं के समाधान के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद लोग न्याय की उम्मीद से सीएम ¨वडो पर शिकायत करते हैं। यहां की गईं शिकायतों का जो हश्र होता है उससे काफी लोग निराश हो रहे हैं। न्याय पाने की उनकी उम्मीद भी धराशायी हो जाती है। यहां अर्जी लगाने वालों का कहना है कि इसका तो सिर्फ नाम ही बड़ा है। काम तो सरकारी विभागों जैसा ही है। अब तो लोग यहां तक कहने लगे हैं कि सीएम ¨वडो पर शिकायत करना अपना समय बर्बाद करना है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यह अपना महत्व लोगों के बीच किस कदर खोता जा रहा है।
प्रतापनगर कॉलोनी निवासी सुनील कुमार का कहना है कि उनके प्लॉट का नक्शा नगर निगम अधिकारियों द्वारा बार-बार आवेदन करने के बाद भी नहीं पास किया जा रहा है। जबकि प्लॉट की रजिस्ट्री और प्रॉपर्टी टैक्स भी उनके द्वारा लगातार जमा कराया जा रहा है। समस्या के समाधान के लिए सीएम ¨वडो पर उन्होंने 17 मई, 2018 एवं तीन अगस्त, 2018 को शिकायत की थी। इसके बाद नगर निगम अधिकारी ने उन्हें कार्यालय में बुलाया। इनका आरोप है कि वहां किसी कागज पर इनसे हस्ताक्षर करा लिए गए। बाद में सीएम ¨वडो से संदेश आया कि समस्या का समाधान करा दिया गया है। सुनील ने कहा कि यह हाल है सीएम ¨वडो का। मजबूर लोगों के न्याय की आस पर यहां विराम लग जाता है।
सुंदर दास बताते हैं कि उन्होंने भीम नगर में रास्ते एवं मंदिर पर कब्जे को लेकर एक शिकायत सीएम ¨वडो पर करीब दो साल पहले दी। वहां से यह जवाब आया कि द्वेष भाव से यह शिकायत दी गई है। इनका कहना है कि सीएम ¨वडो पर की गई शिकायत को बिना किसी ठोस जांच के इस प्रकार का जवाब निराश करता है। ऐसे में तो इस ¨वडो का कोई अर्थ ही नहीं है। सेक्टर-45 निवासी मदन शर्मा ने एक वित्तीय सलाहकार के खिलाफ सीएम ¨वडो में 26 नवंबर, 2018 को शिकायत दी थी। इस पर कोई ठोस कार्रवाई आज तक नहीं हुई। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री महोदय को इस ओर स्वयं ध्यान दें नहीं तो अधिकारी अपनी मनमानी से उनकी इस महत्वाकांक्षी जनहितकारी योजना को जड़ से ही खत्म कर देंगे। अदालत के निर्देश की भी परवाह नहीं
गांव जाटौली निवासी बुजुर्ग महिला बीना चौहान ने अधिकारियों की मनमानी को लेकर चार बार सीएम ¨वडो में शिकायत लगाई पर सुनवाई नहीं हुई। उल्टे एक्शन टेकन रिपोर्ट में अधिकारी ने यह लिख दिया कि शिकायतकर्ता जांच से संतुष्ट है। बीना ने बताया कि भोंडसी गांव में उनका मायका है। माता-पिता की मौत के बाद इंतकाल में नाम दर्ज कराने के लिए उन्होंने कई साल पहले आवेदन किया था मगर तहसीलदार ने नहीं किया। जिसके बाद वह पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट गई। अदालत ने तीन माह के अंदर इंतकाल दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद भी तहसीलदार सोहना ने नहीं सुना। यहां तक की उपायुक्त ने भी पंद्रह दिन के अंदर इंतकाल में नाम दर्ज करने के निर्देश दिए वे निर्देश भी तहसील के अधिकारी ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। बकौल बीना उन्होंने चार बार सीएम ¨वडो में शिकायत की पर कुछ नहीं हुआ। जबकि पटवारी सब कुछ तैयार किए हुए हैं। तहसीलदार ने भी लिखित में आदेश दे रखा है मगर मौखिक मना कर रखा है। कम खर्च किया तो गुनाह किया
दौलताबाद के पूर्व सरपंच विरेंद्र ¨सह भी सीएम ¨वडो के चक्कर लगाते नजर आए। पूर्व सरपंच पर आरोप लगा कि उन्होंने गांव में लाइट लगवाई तो उसमें गबन किया। जबकि पूर्व सरपंच का कहना है कि उन्होंने सबसे कम रकम खर्च कर लाइट खरीदी। उनके खिलाफ झूठी शिकायत की गई। उन्होंने सीएम ¨वडो में शिकायत कर सही तरीके से जांच करने की मांग की तो उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर दी गई। जबकि जांच की जाए तो वह निर्दोष साबित होंगे।