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मिशन एक हजार टन :: कचरा प्रबंधन के लिए स्वीडन से लेनी होगी सीख

संदीप रतन, गुरुग्राम शहरों को साफ सुथरा रखने और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्वीडन से सीख ले

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Oct 2017 06:27 PM (IST)Updated: Fri, 06 Oct 2017 06:27 PM (IST)
मिशन एक हजार टन :: कचरा प्रबंधन के लिए स्वीडन से लेनी होगी सीख
मिशन एक हजार टन :: कचरा प्रबंधन के लिए स्वीडन से लेनी होगी सीख

संदीप रतन, गुरुग्राम

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शहरों को साफ सुथरा रखने और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्वीडन से सीख लेने की जरूरत है। यूरोपीय देश स्वीडन जीरो गारबेज यानी शून्य कचरा राष्ट्र घोषित हो चुका है। यह कामयाबी सरकारी सिस्टम की बदौलत नहीं बल्कि वहां के प्रकृति से प्रेम करने नागरिकों के प्रयास से मिली है। घरों से रोजाना निकलने वाले कूड़े को एक ही डस्टबिन में भरकर देने के बजाय कचरे को घरों में ही पहले सेग्रीगेट (छंटाई) कर दोबारा उपयोग में लाए जाने वाले सामान को रखकर बाकि का कचरा रिसाइकि¨लग स्टेशन पर भेज दिया जाता है।

खास बात यह है कि रिसाइकि¨लग स्टेशनों पर घरों से निकलने वाला कचरा बहुत कम पहुंचने के कारण अब स्वीडन को अपने वेस्ट मैनेजमेंट प्लांटों को चलाने के लिए बाहर के देशों से कचरा आयात करना पड़ रहा है। लेकिन प्रदेश के शहरों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट ही नहीं लगे हुए हैं। हिसार, करनाल, भिवानी, रोहतक, झज्जर, सिरसा, फतेहाबाद, रेवाड़ी, नारनौल सहित सभी शहरों में कचरे के निपटान या रिसाइकिल करने का कोई इंतजाम नहीं है। नतीजन शहरों में कूड़े के ढ़ेर लग रहे हैं।

गुरुग्राम में ये है स्थिति

शहर की आबादी करीब 15 लाख से ज्यादा है। रोजाना 600 मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा घरों से निकल रहा है। गुरुग्राम के बंधवाड़ी स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट 2013 से खराब पड़ा हुआ है। गुरुग्राम और फरीदाबाद शहर का यहां पर रोजाना 1200 मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा पहुंच रहा है। कचरे का निपटान नहीं होने के कारण यहां पर कूड़े के ढ़ेर लगे हुए हैं। हालांकि नगर निगम की ओर से चाइना की कंपनी इको ग्रीन से सॉलिड वेस्ट प्लांट लगाने के लिए पिछले दिनों एक एमओयू साइन किया जा चुका है, लेकिन प्लांट बनने में वक्त लगेगा।

स्वीडन ने बना रखी है नेशनल रिसाइकि¨लग पॉलिसी

स्वीडन ने राष्ट्रीय रिसाइक¨लग नीति बना रखी है। इस काम को निजी कंपनियों को सौंपा गया है। कचरे से पैदा हुई ऊर्जा का इस्तेमाल सर्दी के दिनों में घरों को गर्म करने के लिए की जाती है। कड़ाके की ठंड में घरों को गर्म करने अलावा कचरे से बनी बिजली घरों को रोशन कर रही है। 1985 से स्वीडन 99 फीसद कचरे को रिसाइकिल कर रहा है। स्वीडन में मौजूद 32 रिसाइकि¨लग प्लांटों में कचरे से बिजली पैदा की जाती है जो 8.1 लाख घरों को रोशन कर रही है।


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