खेल: बड़े मुकाबलों में जीत दिलाता है गुरु का मागदर्शन: मनु
यह बिल्कुल सही है कि मैं अपने स्कूल में स्वयं ही शूटिग का अभ्यास कर राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने में कामयाब रही। इसके बावजूद मेरा मानना है गुरु के बिना कोई भी उच्च स्तर पर सफलता नहीं प्राप्त कर सकता।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
यह बिल्कुल सही है कि मैं अपने स्कूल में स्वयं ही शूटिग का अभ्यास कर राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने में कामयाब रही। इसके बावजूद मेरा मानना है गुरु के बिना कोई भी उच्च स्तर पर सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। भारत की स्टार शूटर मनु भाकर का कहना है कि वह जब राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में गई थीं, तो वहां उन्होंने पूर्व अंतरराष्ट्रीय शूटर जसपाल राणा की देख-रेख में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने की तैयारी शुरू की। मुझे अच्छे गुरु की तलाश थी और जब राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में जगह मिली, तो यह तलाश पूरी हुई।
मनु का कहना है कि एक खिलाड़ी को परिश्रम तो स्वयं करना होता है लेकिन एक गुरु का मार्गदर्शन उसे कम समय में सशक्त, अनुशासित बनाने के साथ खेल की बारीकियां समझाता है। गुरु की डांट और दुलार किसी भी खिलाड़ी के व्यक्तित्व निखारने का काम करता है। प्रशिक्षण शिविर में एक-एक खिलाड़ी पर विशेष ध्यान देना और खिलाड़ी के मुताबिक उसके खेल को निखारना।
स्टार शूटर मनु भाकर का कहना है कि गुरु के पास ऐसे-ऐसे उपाय होते हैं, जिनसे खेल के प्रति शिष्यों का उत्साह लगातार बढ़ता रहता है और वही जीतने के लिए हौसला देता है। प्रशिक्षण का सेशन समाप्त होने के बाद भी गुरु आपके खेल को लेकर लगातार चितन करता रहता है। वह अपने शिष्यों के भविष्य को लेकर सिर्फ खेल के मैदान के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर भी सतर्क रहता है। एक खिलाड़ी जब पदक जीतता है तो दूर बैठे प्रशिक्षक को सबसे ज्यादा खुशी होती है और उसे एक शिष्य ही महसूस करता है। राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में बहुत खिलाड़ी होते हैं और हम सभी खिलाड़ियों पर ध्यान देते हैं। आज भारत में कुछ ऐसे उभरते हुए खिलाडी हैं, जिन्होंने बड़े पदक जीते हैं। उनमें अलग हुनर है और मनु भाकर उनमें एक है। एक खिलाड़ी को अनुशासन, खेल के प्रति लगन, निष्ठा और अनुशासन उसे बड़ा खिलाड़ी बनाता है।
जसपाल राणा, पूर्व अंतरराष्ट्रीय शूटर व राष्ट्रीय प्रशिक्षक