सुध ही नहीं: खिलाड़ियों को अभी भी कसक, सुविधाएं नहीं बढ़ीं
अनिल भारद्वाज गुरुग्राम प्रदेश में दो बार हुड्डा सरकार और एक बार भाजपा सरकार के सामने खिलाड़ियों ने मांगे रखी लेकिन 15 साल में सूखा रहा। भाजपा सरकार ने ताऊ देवीलाल स्टेडियम में 400 मीटर का एथलेटिक सिथेटिक ट्रैक की सुविधा दी है।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम
प्रदेश में पांच साल पहले सत्ता परिवर्तन हुआ तो खिलाड़ियों को उम्मीद बढ़ी कि उन्हें खेल संसाधन के साथ-साथ सुविधाएं मिलेंगी। मगर ऐसा कम ही हुआ। विगत पंद्रह साल से चली आ रही मांगों में केवल प्रदेश सरकार ने ताऊ देवीलाल स्टेडियम में 400 मीटर के एथलेटिक सिथेटिक ट्रैक की सुविधा दी है। कई योजनाओं की फाइलें अफसरों की मेज पर पड़ी हैं, जिन पर धूल जम चुकी होगी। जबकि कई खिलाड़ियों ने अपने दम पर प्रदर्शन कर साइबर सिटी की पहचान खेलों में भी विश्व स्तर पर कर दी। अब तो जिले के बड़े नेता भी मानने लगे कि वह गुरुग्राम में खिलाड़ियों को खेलों की सुविधा नहीं दिला पाए। 30 लाख आबादी वाले जिले में इस बार चुनाव में खेलों की सुविधा का मुद्दा खास रहेगा। नहीं बदला एस्ट्रोटर्फ :
नेहरू स्टेडियम में वर्ष 2003-04 में हॉकी के लिए प्रदेश का पहला एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड तैयार किया गया था, जिसकी हालत ऐसी है कि उस पर खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। पहले की सरकारों के बाद मौजूदा सरकार के नेताओं ने एस्ट्रोटर्फ बदलने के दावे किए थे। जो पूरे नहीं हुए। कभी यह ग्राउंड हरियाणा हॉकी का मुख्य ग्राउंड होता था। राष्ट्रीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ी इसी ग्राउंड से निकले हैं लेकिन आज यह ग्राउंड खिलाड़ियों के इंतजार में है। राजनीतिक लोगों से लेकर नगर निगम के अधिकारियों का दावा रहता है कि हॉकी एस्ट्रोटर्फ लगाएंगे। एस्ट्रोटर्फ खराब होने कारण प्रतियोगिताएं आयोजित होना बंद हो गईं जिसका नुकसान राष्ट्रीय खेल को हुआ। खेल विभाग की बेरुखी के कारण खिलाड़ियों को समय पर बॉल व हॉकी अच्छी क्वालिटी की नहीं मिलती।
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जिमनेजियम हॉल :
इंडोर गेम के प्रशिक्षण और आयोजन की मांग वर्षों से की जा रही है लेकिन शहर में खेलों के लिए कोई जिमनेजियम हॉल नहीं बन पाया, जिसमें एक साथ कई इंडोर गेम खेले जा सकें। हर बार प्लान बनता है लेकिन सिरे नहीं चढ़ता। ताऊ देवीलाल स्टेडियम में हुडा ने हॉल बनाना शुरू किया था लेकिन अब काम बंद हो रखा है।
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तैराकी :
शहर के तैराक ओलंपिक तक खेल चुके हैं और नेताओं से लेकर अधिकारियों तक घोषणाएं हो चुकी हैं कि शहर में 50 मीटर का अंतरराष्ट्रीय स्विमिग पूल बनाया जाएगा लेकिन हालात देख लगता है कि आश्वासन तक ही सीमित रहेगा। आज राष्ट्रीय स्तर के तैराक प्रदेश में सबसे ज्यादा गुरुग्राम जिला में हैं लेकिन सुविधा नहीं है।
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खेल हॉस्टल बंद :
नेहरू स्टेडियम में वर्षों से चल रहे खेल हॉस्टल को बंद हुए चार वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है। दोबारा शुरू करने वायदा किया लेकिन खेल हॉस्टल आज तक बंद है। खिलाड़ियों का यही कहना था कि नई सुविधा भले न दें लेकिन पहले से जो सुविधा मिल रही है उसे क्यों बंद किया जा रहा है। खेल हॉस्टल बंद होने का वालीबॉल, जिमनास्ट, एथलेटिक पर इतना असर नहीं हुआ, जितना हॉकी को नुकसान हुआ है। हॉस्टल बंद होने कारण हॉकी सेंटर खानापूर्ति के लिए चल रहा है।
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बैडमिटन व लॉन टेनिस
बैडमिटन व लॉन टेनिस में जब कोई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीत दर्ज करता है तो नेता बधाई देते हैं लेकिन यह कोई नहीं पूछता है कि वो खिलाड़ी वहां तक कैसे पहुंचा है। कहने के लिए साइबर सिटी है लेकिन खेल विभाग की तरफ से दोनों गेम में कोई सुविधा नहीं है। बैडमिटन में एक प्रशिक्षक अब मिला है लेकिन उनके पास सुविधा नहीं है। शूटिग:
सरकार ने कई बार घोषणा की थी कि गुरुग्राम में शूटिग रेंज बनाई जाएगी। फरीदाबाद व गुरुग्राम में शूटिग के खिलाड़ी किसी भी जिले से ज्यादा हैं लेकिन खिलाड़ियों को आज भी प्रेक्टिस के लिए निजी या दिल्ली जाना पड़ रहा है। इस महंगे गेम में आम घर का बच्चा चाहकर भी नहीं आ रहा। राजीव गांधी स्टेडियम:
जिले के तीन ब्लॉक में बने राजीव गांधी खेल स्टेडियमों में खेल सेंटर नहीं चल पा रहे हैं। पिछले सात-आठ वर्ष से स्टेडियम बनकर तैयार है और अब बुरी हालात में है। खेल विभाग ने कई बार कोचों की ड्यूटी भी लगाई लेकिन स्टेडियम में सेंटर नहीं चल पाए। गांव भांगरौला व वजीराबाद में स्टेडियम
गांव भांगरौला में स्टेडियम बनाए जा रहे हैं जिसमें कबड्डी, वालीबॉल, बास्केबॉल, खो खो, एथलेटिक के लिए बड़े हॉल तैयार किए गए हैं जिसमें कुछ इंडोर गेम का आयोजन हो सकता है। इस वर्ष यह स्टेडियम मिलने की आशा है। इससे आसपास के कई गांव के खिलाड़ियों को लाभ मिलेगा। वजीराबाद में नया स्टेडियम बनाने की घोषणा है।