डॉक्टरों ने मना किया, तो पिता की जिद ने बबीता की कराई धमाकेदार वापसी
वैसे तो द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित पहलवान महावीर फौगाट ने एक समय जमाने से लड़कर बेटियों
वैसे तो द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित पहलवान महावीर फौगाट ने एक समय जमाने से लड़कर बेटियों को अखाड़े में उतारा था लेकिन एक बार फिर पिता ने मुश्किल समय में बबीता का साथ दिया और मुकाबले के लिए तैयार किया। लंबे समय से अखाड़े से दूर बबीता फौगाट ने कॉमनवेल्थ खेलों की ट्रायल में धमाकेदार वापसी की है। पिछले कई वर्षो से घुटनों की इंजरी से जूझ रही बबीता भी अपने कुश्ती कैरियर को समाप्त मान चुकी थी लेकिन पिता व भाई की जिद ने उन्हें इस लायक बनाया दिया कि वो देश के लिए पदक जीतने को तैयार हैं। 54 किलो भार वर्ग में भारत की तरफ से 2018 कॉमनवेल्थ खेलों में भाग लेने वाली बबीता फौगाट ने अपनी तैयारियों को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता अनिल भारद्वाज से खास बातचीत की। प्रस्तुत है मुख्य अंश:
- रियो के बाद आप कुश्ती मुकाबलों से गायब रहीं। लोग मानने लगे थे कि आप कुश्ती छोड़ चुके है। कहां थीं आप?
- मैं भी मान चुकी थी कि शायद अब अखाड़े में वापसी नहीं होगी। लेकिन मेरे भाई राहुल व पिता महावीर फौगाट की बदौलत वापसी करने में कामयाब रही। मुश्किल हालात में उन्होंने दोबारा अखाड़े में उतरने के लिए प्रेरित किया।
- 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक के बाद आपसे बड़ी आशाएं थीं। लेकिन तब से अबतक आपका प्रदर्शन बड़ा हल्का रहा?
- मेरे घुटनों में 2013 से बड़ा दर्द था। उसके बाद भी मैंने ग्लास्गो में स्वर्ण जीता। दर्द होते हुए भी मैंने रियो ओलंपिक खेला। लेकिन अगर मुझे 2013 में सहायता मिलती, तो शायद मैं इस हालात पर नहीं पहुंची होती। लेकिन मैं धन्यवाद करना चाहूंगी जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स का, जिस के सहयोग से वापसी हुई।
- आपने 2014 कॉमनवेल्थ खेलों में पदक जीता था। तब से अबतक पदक नहीं है। अब दोबारा कॉमनवेल्थ खेलों में ही पदक जीतने का मौका होगा। आप कितना पक्का मान रही हैं?
- पक्का कुछ नहीं होता। लेकिन मैंने वापसी की है तो विश्वास रखें, देश के लिए पदक जीतना मेरा लक्ष्य है। पदक जीतने के लिए मेहनत करनी होती है ओर अब वो जारी है।
- कॉमनवेल्थ खेलों में जॉर्जिया व कनाडा के पहलवान मुकाबले में होंगे, जो ओलंपिक में पदक के दावेदार होते हैं?
- सही कहा। लेकिन मैंने उन्हें हराकर 2014 में पदक जीता है। अभी मेरे पास तीन माह शानदार तैयारी करने का समय है।
- आपने अपनी चोट के संबंध में कभी बात नहीं की?
- मैं स्वयं हताश थी। मुझे लगता नहीं था कि मैं वापसी करूंगी। लोग मुझ से पूछते थे मैं इसलिए नहीं बोलती थी कि शायद कोई समझेगा नहीं।
- डॉक्टरों ने घुटनों की सर्जरी के लिए मना कर दिया था। फिर यह सब चमत्कार कैसे हुआ?
- हां डॉक्टरों का कहना था कि सर्जरी के बाद भी कुश्ती नहीं कर पाएंगी। लेकिन फिर जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स ने स्कॉटलैंड के फिजियो स्पेंसर को बुलाया और उन्होंने एक्सरसाइज कराकर मेरी वापसी सुनिश्चित कराई।