शिकोहपुर जमीन घोटाला : जांच के लिए सरकार से अनुमति का इंतजार
शिकोहपुर जमीन घोटाले की जांच शुरू करने की अनुमति 15 दिन बाद भी सरकार से नहीं मिलने पर चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है। सबसे अधिक चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि जब मामला दर्ज करने में एक दिन का भी समय नहीं गंवाया गया फिर जांच शुरू करने में इतना विलंब क्यों? सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है जिससे कि जांच शुरू करने की अनुमति देने में समय लग रहा है?
आदित्य राज, गुरुग्राम
शिकोहपुर जमीन घोटाले की जांच शुरू करने की अनुमति 15 दिन बाद भी सरकार से नहीं मिलने पर चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है। सबसे अधिक चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि जब मामला दर्ज करने में एक दिन का भी समय नहीं गंवाया गया फिर जांच शुरू करने में इतना विलंब क्यों? सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है जिससे कि जांच शुरू करने की अनुमति देने में समय लग रहा है?
इसी महीने एक सितंबर को नूंह निवासी सुरेंद्र शर्मा ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा एवं प्रदेश में लगातार दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र ¨सह हुड्डा के खिलाफ खेड़कीदौला थाने में भ्रष्टाचार एवं धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई है। पूर्व मुख्यमंत्री से जुड़ा मामला होने की वजह से नियमानुसार जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति आवश्यक है। गुरुग्राम पुलिस ने मामला दर्ज करने के अगले ही दिन जांच शुरू करने की अनुमति सरकार से मांगी लेकिन 15 दिन बाद भी अनुमति नहीं मिली है। राजनीति के जानकारों से लेकर राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले आम लोगों को उम्मीद थी कि विधानसभा सत्र के दौरान या सत्र खत्म होते ही सरकार अनुमति देगी। ऐसा न होने से हर जगह कई तरह की चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं। सुबह-सुबह अधिकतर पार्कों में चर्चा का सबसे बड़ा विषय यही बनता है। सभी एक-दूसरे से यही सवाल करते हैं कि आखिर सरकार अनुमति देने में देर क्यों लगा रही है? कहीं राजनीतिक दांव-पेंच के तहत मामला तो नहीं दर्ज कराया गया? लोगों का यह भी मानना है कि धोखाधड़ी का मामला तब बनता है जब खरीदार या विक्रेता में से कोई शिकायत करे। जब दोनों में से किसी को शिकायत नहीं फिर धोखाधड़ी का मामला कैसे बनेगा? इस वजह से ही संभवत जांच शुरू करने की अनुमति देने में देरी हो रही है। क्या है शिकोहपुर जमीन घोटाला
गांव शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी जिसके निदेशक रॉबर्ट वाड्रा हैं, ने साढ़े तीन एकड़ जमीन साढ़े सात करोड़ रुपये में खरीदी थी। जमीन पर कामर्शियल लाइसेंस प्राप्त करने के बाद स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी ने इसे डीएलएफ यूनिवर्सल को 58 करोड़ रुपये में बेच दी। शिकायत है कि स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी के खाते से न ही ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खाते में पैसा जमा किया गया और न ही स्टांप डयूटी के रूप में 45 लाख रुपये की राशि स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी के खाते से जमा कराई गई। यह भी शिकायत है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र ¨सह हुड्डा की वजह से नियमों को ताक पर रखकर वाड्रा की कंपनी को कामर्शियल लाइसेंस दिया गया।