Move to Jagran APP

साहित्य, समाज और मीडिया में संतुलन जरूरी

साहित्य समाज का दर्पण है तो मीडिया चौथा स्तंभ। साहित्य समाज और मीडिया के परस्पर बेहतर संबंधों से राष्ट्रचेतना भी जागृत हो सकती है तो संतुलन बिगड़ने पर समाज में विकृतियां भी आ सकती हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 07:51 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 06:21 AM (IST)
साहित्य, समाज और मीडिया में संतुलन जरूरी
साहित्य, समाज और मीडिया में संतुलन जरूरी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साहित्य समाज का दर्पण है तो मीडिया चौथा स्तंभ। साहित्य समाज और मीडिया के परस्पर बेहतर संबंधों से राष्ट्रचेतना भी जागृत हो सकती है तो संतुलन बिगड़ने पर समाज में विकृतियां भी आ सकती हैं। ऐसे में तीनों के संतुलन से बेहतर समाज का निर्माण किया जा सकता है। साहित्य सृजन में समाज का योगदान होता है तो मीडिया समाज में जागृति लाने का काम करती है। वक्ताओं ने इन बातों के सेक्टर 14 स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय में उस वक्त किया जब वे साहित्य, समाज और मीडिया पर आयोजित सेमिनार में हिस्सा ले रहे थे।

loksabha election banner

राष्ट्रीय स्तर की इस संगोष्ठी की अध्यक्षता राजभाषा आयोग लखनऊ के अध्यक्ष राज नारायण शुक्ल ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुग्राम विश्वविद्यालय के उपकुलपति डॉ. मारकंडे आहूजा ने किया। सभागार में लगभग ढाई सौ प्रतिभागियों विद्यार्थियों ने इस सेमिनार में प्रतिभागिता की और अपने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ. रघुनाथ ऐरी, पूर्व प्रोफेसर संस्कृत विभाग, रघुवीर सिंह बोकन, पूर्व प्रोफेसर हिदी विभाग प्रवीण वर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, एसडी कॉलेज पलवल तथा डॉ. हरिशरण वर्मा, संपादक इंडियन जरनल्स ऑफ सोशल कंसर्न उपस्थित थे। डॉ. हरीश अरोड़ा ने बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए साहित्य, समाज में मीडिया के अंतर संबंधों की जटिलताओं पर प्रकाश डाला। ऊषारानी, प्रोफेसर हिदी विभाग हिमाचल विश्वविद्यालय, शिमला ने विस्तार से आज के युग में मीडिया के योगदान को रेखांकित किया।

डॉ. पुष्पा, प्रोफेसर, हिदी विभाग महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक तथा भूप सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, समाजशास्त्र द्रोणाचार्य राजकीय महाविद्यालय गुरुग्राम ने विशेष रूप से प्रतिभागियों के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत किए। हिदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. पुष्पा अंतिल, अशोक कुमार, डॉ. अमितेश बोकन, संगीत विभाग से डॉ लोकेश शर्मा, गणित विभाग से डॉ. अशोक कुमार, कॉमर्स विभाग से डॉ. रितु, डॉ सीमा सहित अन्य प्राध्यापक उपस्थित थे। प्राचार्य डॉ. विजय अदलखा ने इस कार्यक्रम की सफलता पर सभी को बधाई देते हुए कहा कि बौद्धिक और साहित्यिक विचार-विमर्श किसी भी देश की विकास का सूचक होता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.