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सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय के भुगतान में घोटाला

सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय के भुगतान में धांधली की जा रही है। ताला लटके हुए और कई माह से बंद पड़े शौचालयों के भी लाखों रुपये के बिल भी नगर निगम में मंजूर किए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 05:27 PM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 02:32 AM (IST)
सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय के भुगतान में घोटाला

संदीप रतन, गुरुग्राम

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सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय के भुगतान में धांधली की जा रही है। ताला लटके हुए और कई माह से बंद पड़े शौचालयों के भी लाखों रुपये के बिल भी नगर निगम में मंजूर किए जा रहे हैं। खास बात ये है कि आठ निजी एजेंसियों को कुल 133 शौचालयों के रखरखाव के लिए सालाना 5.26 करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। लेकिन हालत ये है कि कई शौचालय तो उपयोग करने के लायक भी नहीं हैं। स्थानीय नागरिकों और पार्षदों का कहना है कि एजेंसी और सैनिटेशन विग के अधिकारियों द्वारा किए जा रहे इस गड़बड़झाले की जांच होनी चाहिए।

बता दें कि नगर निगम द्वारा करीब डेढ़ साल पहले आरएस एंटरप्राइजेज, एमी एसेट्स एंड फेसिलिटी मैनेजमेंट सर्विसेज, बालाजी इंजीनियर एंड कंसल्टेंट्स, मिडास मैनपावर आउटसोर्सिंग प्राइवेट लिमिटेड, समेकित जन कल्याण समिति, केएस मल्टीफैसिलिटी प्राइवेट लिमिटेड, बद्री विशाल प्रोटेक्शन एंड कंपनी और बिमल राज आउटसोर्सिग प्राइवेट लिमिटेड को इन सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव की जिम्मेदारी दी गई थी। सितंबर में इनको अलाट किए गए काम की समयावधि खत्म हो चुकी है। इसके बाद 31 अक्टूबर तक इनकी अवधि बढ़ाई गई है और अब नया टेंडर करने की तैयारी निगम द्वारा की जा रही है। ये शौचालय बाजारों, सड़कों सहित अन्य सार्वजनिक जगहों पर बने हैं।

हर माह 43.89 लाख रुपये खर्च

इन सभी आठ एजेंसियों को प्रत्येक शौचालय के रखरखाव के लिए 33 हजार रुपये प्रति माह निगम द्वारा दिए जाते हैं। इस हिसाब से हर माह इन एजेंसियों को 43.89 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है। नियमानुसार शौचालय में सफाई व्यवस्था रखने, इसकी मरम्मत करने, साबुन और तौलिया व टिश्यू आदि की भी व्यवस्था होनी चाहिए। ज्यादातर शौचालयों की हालत बदतर है। साबुन तक शौचालयों में नहीं है। सफाई नहीं होने के कारण शौचालय उपयोग करने के लायक नहीं है। लटके हैं ताले, हो रहा भुगतान

बसई फ्लाईओवर के नीचे बने शौचालय पर पिछले कई माह से ताला लटका हुआ है। स्थानीय निवासी बालकिशन के मुताबिक इस शौचालय के बंद होने के बावजूद नगर निगम इसका भुगतान कर रहा है। लोगों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल रही है। इसके अलावा बसई के सीएंडडी वेस्ट प्लांट में बने शौचालय का उपयोग प्लांट का संचालन कर रही कंपनी के लोग करते हैं, लेकिन इसका भुगतान निगम द्वारा हो रहा है। सेक्टर 9 में फ्लाईओवर निर्माण के दौरान एक शौचालय को तोड़ दिया गया था, लेकिन अभी इसका रखरखाव के नाम पर भुगतान एजेंसी को निगम द्वारा किया जा रहा है। सदर बाजार के शौचालय को भी कई माह से ताला लगाकर बंद किया हुआ है। शौचालयों में सफाई व्यस्था बेहतर नहीं है। ऐसे में इनका उपयोग बहुत कम हो पा रहा है। एजेंसियों को किए जा रहे भुगतान की जांच होनी चाहिए।

ब्रह्म यादव, पार्षद - बंद पड़े शौचालयों का मामला संज्ञान में नहीं है, इनकी जांच की जाएगी। सभी एजेंसियों को शौचालयों का बेहतर रखरखाव करने के आदेश दिए गए हैं।

धीरज कुमार, संयुक्त आयुक्त (स्वच्छ भारत मिशन) नगर निगम गुरुग्राम।

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सवाल पर फील्ड में दौड़े अधिकारी, एजेंसी को भेजा नोटिस

जागरण संवाददाता द्वारा शौचालयों के बंद होने और भुगतान में धांधली करने का सवाल करते ही निगम के अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए। स्वच्छ भारत मिशन के सलाहकार हरभजन ने सेक्टर 22 के शौचालय का निरीक्षण किया। इस दौरान महिला शौचालय पर ताला लटका हुआ मिला और पुरुष शौचालय में भी कोई सुविधा नहीं मिली। इस पर नगर निगम की ओर से इस शौचालय का रखरखाव कर रही एजेंसी बद्री विशाल प्रोटेक्शन एंड कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजते हुए बिलों से चार हजार रुपये की कटौती करने के आदेश दिए हैं।


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