सहेज लो हर बूंद: बोरवेल पर रोक के बावजूद निर्माण स्थलों पर हो रहा भूजल दोहन
जिले में अवैध निर्माणों के लिए भूजल दोहन किया जा रहा है। गुरुग्राम डार्क जोन में होने के चलते बोरवेल खोदने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद नए व पुराने शहर में हजारों अवैध बोरवेल चल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जिले में अवैध निर्माणों के लिए भूजल दोहन किया जा रहा है। गुरुग्राम डार्क जोन में होने के चलते बोरवेल खोदने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद नए व पुराने शहर में हजारों अवैध बोरवेल चल रहे हैं। पुराने शहर के न्यू कालोनी क्षेत्र, ज्योति पार्क, कृष्णा कालोनी, मदनपुरी, राजेंद्रा पार्क, दौलताबाद फ्लाईओवर क्षेत्र, लक्ष्मण विहार, रेलवे रोड, दयानंद कालोनी, महरौली रोड व व्यापार सदन के नजदीक, पटेल नगर, कीर्ति नगर और फ्रेंड्स कालोनी सहित काफी जगहों पर अवैध निर्माण किए जा रहे हैं।
नियमानुसार किसी भी तरह का निर्माण करने से पहले नगर निगम से बिल्डिग प्लान स्वीकृत कराना जरूरी होता है। इसके अलावा नक्शे के मुताबिक ही निर्माण करना अनिवार्य है। एक तरह जहां बिल्डिग प्लान नियमों की अवहेलना से निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं भूजल दोहन से लगातार इसका स्तर नीचे जा रहा है। आने वाले समय में शहर में पेयजल संकट हो सकता है। इमारतों के निर्माण के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के शोधित पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है। गुरुग्राम मेट्रोपालिटन डेवलपमेंट अथारिटी (जीएमडीए) के धनवापुर और बहरामपुर एसटीपी से शोधित पानी का बागवानी, सिचाई, बिल्डिग निर्माण आदि कार्यों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
सरकार ने बनाई थी पालिसी
जीएमडीए के अधिकारियों के मुताबिक नवंबर 2019 में प्रदेश सरकार ने सीवर के शोधित पानी का दोबारा उपयोग करने के लिए एक पालिसी बनाई थी। पालिसी के मुताबिक वर्ष 2022 तक 25 फीसद शोधित पानी और 2023 तक 50 और 2025 तक 80 फीसद शोधित पानी का उपयोग करने का लक्ष्य रखा गया है। जीएमडीए के एसटीपी से 3 रुपये किलोलीटर के हिसाब से बिल्डरों को भी शोधित पानी दिया जा रहा है, लेकिन महज दो एमएलडी पानी ही बिल्डिग निर्माण के लिए जीएमडीए से लिया जा रहा है।
नगर निगम और प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
ज्यादातर पुराने गुरुग्राम में कट रही अवैध कालोनियों के निर्माण व अन्य बिल्डिग निर्माण के लिए प्रतिबंध के बावजूद काफी बोरवेल खोद दिए गए हैं। लेकिन नगर निगम या प्रशासन द्वारा ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।