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रामलीला: डाकखाने की पुरानी रामलीला

सदर बाजार में डाकखाने के पीछे शहर की पुरानी रामलीला कमेटी की रामलीला में बुधवार की रात राम बारात और राम विवाह के ²श्य का मंचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 04:46 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 04:46 PM (IST)
रामलीला: डाकखाने की पुरानी रामलीला

सदर बाजार में डाकखाने के पीछे शहर की पुरानी रामलीला कमेटी की रामलीला में बुधवार की रात राम बारात और राम विवाह के दृश्य का मंचन किया गया। राम की बारात देखने सदर बाजार के लोग उमड़ पड़े। सदर बाजार का सघन इलाका होते हुए भी यहां रामलीला का मंच स्थायी रूप से बना हुआ है। शारदीय नवरात्र के दौरान यहां रामलीला की रौनक 104 साल से चली आ रही है। पुराने समय में व्यापारी इस रामलीला कमेटी से जुड़े थे। पीढ़ी दर पीढ़ी उनके वंशज भी इसे जुड़ गए। रामलीला की विशेषता

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इस साल इस रामलीला में सीता की भूमिका 12 साल के वासु सिगला निभा रहे हैं। राम की भूमिका प्रतीक गुप्ता निभाएंगे। लक्ष्मण की भूमिका में शुभम मंगला होंगे। रामलीला में राम बारात लोगों के आकर्षण का केंद्र होती है। नए दौर में इस पुरानी रामलीला कमेटी ने तकनीक का भी पूरा प्रयोग किया है। इस रामलीला की राम बारात में लोग खूब आनंद लेते हैं। बैंड बाजों के साथ जब राम बारात निकलती है तो बैंड की धुन पर युवा नाचते हैं। तकनीक का प्रयोग भी इस रामलीला में हुआ है जैसे हनुमान संजीवनी बूटी लेकर उड़कर आते हैं। फिल्मी गानों की तर्ज पर भजनों का पूरा प्रयोग होता है। रामलीला का इतिहास

वर्ष 1916 में यह रामलीला शुरू हुई थी। पुराने शहर में की रामलीला इस साल अपना 104 वां साल मना रही है। हालांकि गुरुग्राम के आस-पास के गांवों में अन्य रामलीलाएं भी इसके पहले से हो रही थी मगर गुरुग्राम के शहरी इलाके में शुरू होने वाली यह पहली रामलीला है। सदर बाजार की सघन दुकान वाले इलाके और बड़े हनुमान की मूर्ति के साथ रामलीला के मंच के पास पहले काफी जगह दर्शकों के लिए होती थी। पुराने शहर के लोगों में रामलीला को लेकर अभी भी वहीं उत्साह होता है। इस रामलीला ने कई नए तरीकों को भी अपनाया है। इस रामलीला मंडली से जुड़े लोगों ने शहर के दूसरे हिस्सों में रामलीलाएं शुरू करवाई। रामलीला के पहले दिन मेरी भूमिका शुरू हो जाती है। मैं नारद बनता हूं। बाकी 12 दिनों की रामलीला में कुछ न कुछ जिम्मेदारी जरूर होती है। हमें स्टेज पर हमेशा मौजूद रहना होता है। रामलीला के दौरान पूरी टीम एक परिवार की तरह होती है।

महावीर शर्मा, नारद की भूमिका

मैं इस साल रावण की भूमिका निभा रहा हूं। मेरे परदादा फकीरचंद और उनके साथी दादा ओम प्रकाश गोयल रामलीला के संस्थापकों में एक रहे हैं। हमारे परिवार की पांचवी पीढ़ी रामलीला में हिस्सा ले रही है। पुराने गुरुग्राम के व्यवसायी परिवारों को जुड़ाव इस रामलीला से रहा है।

पुनीत अग्रवाल, रावण की भूमिका मैं इस बार कैकेयी और सुलोचना सती (मेघनाद की पत्नी ) भूमिका निभा रहा हूं। स्टेज की जिम्मेदारियों के अलावा मैं कैकेयी और सुलोचना सती की भूमिका निभा रहा हूं। कई सालों ये भूमिकाएं निभाने के कारण मुझे बहुत तैयारी नहीं करनी पड़ती। हमारा संगीत पक्ष बेहतर होता है।

मनोज गुप्ता, कैकेयी और सुलोचना की भूमिका मैंने छह साल तक बाल राम की भूमिका निभाई है। अभी सुबाहू, मारीच, खर दूषण के अलावा दूत की भूमिकाएं भी निभा रहा हूं। वास्तव में हमारे परिवार रामलीला से पीढि़यों से जुड़े हैं। पुराने समय से रामलीलाएं श्रद्धा-भक्ति और मनोरंजन के लिए होती रही है।

विवेक सिगला, सुबाहू, मारीच, खर, दूषण और दूत की भूमिका यादों के झरोखे से

मैंने जब राम लीला में काम शुरू किया था तब 11 साल का था। शुरुआत मकरध्वज की भूमिका से हुई थी। छोटी-छोटी भूमिकाएं करता था। वर्ष 1983 से मैं रावण अंगद संवाद में रावण बनने लगा। इस बार दशरथ की भूमिका निभा रहा हूं। पिछले सालों के दौरान मैंने दशरथ के अलावा रावण अंगद संवाद में रावण की भूमिका निभाई है। राम और केवट प्रसंग में केवट बनता हूं। करीब 38 सालों से मैं इस रामलीला से जुड़ा हूं। कलाकारों को प्रशिक्षित करने का काम मेरा है। हमलोगों की रामलीला में हर कलाकार को रामलीला के हर पात्र की भूमिका बताई जाती है। कई बार राम दो होते हैं। किसी नए को प्रमोट करना होता है तो पहले चार दिन की भूमिका उसे देते हैं। राम का रोल 12 दिनों तक चलता है। अलग-अलग प्रसंग में रावण अलग-अलग होते हैं। करीब साठ लोगों की टीम है। राम की बारात और विजय यात्रा में शहर के लोग नाचते गाते हिस्सा लेते हैं। राम की आरती दुकानों के दुकानदार भी उतारते हैं। यह श्रद्धा सालों से बनी हुई है।

मुकेश गोयल, दशरथ की भूमिका रामलीला के कार्यक्रम

4 अक्टूबर - चित्रकूट प्रसंग शूर्पनखा प्रसंग खर दूषण वध,

5 अक्टूबर - सीता हरण सुग्रीव मित्रता, बाली वध,

6 अक्टूबर - अशोक वाटिका लंका दहन,

7 अक्टूबर - रावण अंगद संवाद, लक्ष्मण मूर्छा

8 अक्टूबर - रावण वध, शोभा यात्रा पुतला दहन

9 अक्टूबर - राम का राज्याभिषेक


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