समय रहते चेत गए होते तो सहेज पाते इस बरसात का पानी
विशेषज्ञों के अनुसार बारिश का 80 फीसद जल हम सहेज नहीं पाते हैं। पिछले सालों के दौरान गुरुग्राम में करीब 350 से ज्यादा रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाए गए थे।
पूनम, गुरुग्राम
विशेषज्ञों के अनुसार बारिश का 80 फीसद जल हम सहेज नहीं पाते हैं। पिछले सालों के दौरान गुरुग्राम में करीब 350 से ज्यादा रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाए गए थे। इनमें ज्यादातर फेल साबित हुए हैं। ये उन जगहों पर बनाए गए जहां पानी एकत्र ही नहीं होता है या फिर वे पत्तों और मिट्टी जमा होने के कारण बंद पड़े हैं। इस साल की बरसात फिर से बेकार जाने वाली है। अधिसंख्य सेक्टरों में ये सिस्टम या तो ग्रीन बेल्ट और या पार्कों में ऊंची जगह लगाए गए हैं। गुरुग्राम ऐसी जगह नहीं है जहां ज्यादा बरसात होती हो। ऐसे में छिटपुट बरसात का पानी भी मायने रखता है।
सेक्टर चार में चूहों का आशियाना बना रेन वाटर हार्वेस्टिग पिट
गुरुग्राम में भूजल लगातार नीचे जा रहा है बावजूद इसके प्रशासन कितना गंभीर है, इसकी बानगी सेक्टर चार के इन रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम से देखी जा सकती है। लाखों के खर्च से बना रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट आम जमीन से ऊपर मार्केट के ग्रीन बेल्ट में बना दिया गया था। ग्रीन बेल्ट ऊंचाई पर है और कुछ पेड़ यहां लगे हैं। यहां तीन रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट बनाए गए थे। इन पिट में बारिश का पानी तो जरा भी नहीं गया क्योंकि इस जगह पानी एकत्र ही नहीं होता। ढलान से सड़क पर चला जाता है। रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट को चूहों ने अपना घर बना लिया है। काफी संख्या में चूहे यहां रहते हैं।
सेक्टर के पूर्व आरडब्ल्यूए अध्यक्ष एसके शर्मा बताते हैं कि ऐसे 15 रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट सेक्टर में बने हैं। एक पिट में सरकार का तीन से चार लाख खर्च हुआ होगा। क्योंकि करीब बोरिग 70 से 80 फुट गहरी होती है, ऊपर का ढांचा बनता है। सेक्टर में जितने भी पिट बने एक भी कामयाब नहीं हुआ। जल भराव का संकट सेक्टर हर बारिश में झेलता है। ये पिट करीब चार साल पहले बनाए गए हैं और इनके रखरखाव पर भी प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया। मार्केट के पास बने तीनों पिट टूट गए हैं। यहां सैकड़ों चूहे रहने लगे हैं। सामने करीब 10 रेहड़ियां लगती हैं, इनसे फेंका गया सामान चूहे खाते हैं। सेक्टर चार शहर का निचला इलाका है। हल्की बारिश होने से इस सेक्टर के कई हिस्से जल में डूब जाते हैं। जैसे मदर डेयरी के पास मकान संख्या 800 की लाइन में, बाल भवन के पास, केनकोन कॉलोनी के पास, चिंतपूर्णी मंदिर के सामने सर्विस लेन पर ऐसे कई मकान है, जिनकी ड्रेन लाइन बंद पड़ी है और यह इलाका भी नीचे हैं। यहां भी खूब पानी जमा होता है।
पिट की जांच के लिए हो आधुनिक साधन
गुरुग्राम में भूजल स्तर और रेनवाटर हार्वेस्टिग पर शोध करने वाले जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिग विभागाध्यक्ष प्रो. गौहर महमूद बताते हैं कि जामिया में रेनवाटर हार्वेस्टिग पिट को लेकर जो प्रयोग उन्होंने किया उससे यहां का भूजल स्तर एक मीटर बढ़ा है। यह जांच भी जरूरी है कि रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाने के बाद उसका कितना लाभ हुआ है। प्रो. महमूद के अनुसार रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनाने में भूजल स्तर बढ़ाने की मात्रा और गुणवत्ता दोनों देखना जरूरी है। वे बताते हैं-
- रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम वहां बनाया जाए जहां पानी जमा होता है।
- उसकी पिट की परिधि इतनी हो कि उसमें पानी जा सके।
- दो चैंबर बनाए जाएं, जिसमें एक में जाकर पानी छने और दूसरे से जमीन में जाए
- बोर रेनवाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के बाहर बनाया जाए, जिससे उसके बंद होने का पता चल सकेगा।
- बारिश से पहले रेनवाटर हार्वेस्टिग हार्वेस्टिग सिस्टम की पूरी सफाई की जाए
- सिस्टम के साथ पानी के लेवल की जांच के लिए पिजियोमीटर लगाया जाए, जिससे पानी का स्तर बढ़ रहा है या घट रहा है पता चलेगा।
- भूजल की मात्रा और गुणवत्ता दोनों की जांच जरूरी है। पानी के पीएच और टीडीएस की जांच के डिजिटल सिस्टम लगाया जाए, जिससे यह पता चले की जमीन में जो पानी गया, उसकी गुणवत्ता कैसी है?
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