प्रिस हत्याकांड: पंचकूला की विशेष अदालत में आज पेश की जाएगी गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची
प्रिस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपितों के खिलाफ गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में आज बृहस्पतिवार को सीबीआइ द्वारा सौंपी जाएगी।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : प्रिस हत्याकांड मामले में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपितों के खिलाफ गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत में आज बृहस्पतिवार को सीबीआइ द्वारा सौंपी जाएगी। बताया जाता है कि बुधवार का पूरा दिन सूची को तैयार करने में ही लग गया। तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप में चार पुलिस अधिकारियों तत्कालीन सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) बिरम सिंह, भोंडसी थाने के तत्कालीन प्रभारी नरेंद्र खटाना, सब-इंस्पेक्टर शमशेर सिंह एवं ईएएसआइ सुभाषचंद के खिलाफ सीबीआइ चालान पहले ही पेश कर चुकी है। 15 जनवरी को चालान पर विशेष सीबीआइ अदालत संज्ञान लेगी।
पीड़ित के अधिवक्ता सुशील टेकरीवाल ने बताया कि बृहस्पतिवार को हर हाल में गवाहों एवं दस्तावेजों की सूची सौंपनी ही होगी। बिना सूची के अदालत संज्ञान ही नहीं लेगी? उनका कहना है कि यदि सीबीआइ जांच नहीं होती तो निर्दोष को फांसी पर लटका दिया जाता। मामले में पुलिस अधिकारियों को ऐसी सजा होनी चाहिए कि पूरी दुनिया के सामने नजीर बन जाए। यही नहीं जिस एसआइटी ने बस सहायक को आरोपित माना था, उसमें जो भी अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे, उन सभी के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। सीबीआइ जांच की घोषणा के बाद भी एसआइटी ने जो आज आरोपित है उसे न केवल मुख्य गवाह बनाया गया था बल्कि उसकी गवाही भी करा दी गई थी। आखिर ऐसा क्यों किया गया था? यदि जीरो से सीबीआइ जांच नहीं करती तो न ही मुख्य गवाह आरोपित के रूप में सामने आता और न ही बस सहायक आरोप मुक्त होता। एसआइटी में कई अधिकारी शामिल थे। ऐसे में केवल चार के खिलाफ ही चालान क्यों? मामला सामने आने के बाद शुरुआत में क्राइम ब्रांच की जिस टीम ने अपनी भूमिका निभाई थी, उस टीम के प्रभारी से लेकर सदस्यों के खिलाफ भी चालान क्यों? बता दें कि आठ सितंबर 2017 को सोहना रोड स्थित एक नामी स्कूल के बाथरूम में छात्र प्रिस (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के कुछ ही घंटे बाद गुरुग्राम पुलिस ने बस सहायक को आरोपित मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था। जब जांच सीबीआइ ने शुरू की तो जिस भोलू (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) को गुरुग्राम पुलिस ने मुख्य गवाह बनाया था वही आरोपित निकला। इसके बाद अदालत ने सीबीआइ की रिपोर्ट के आधार पर बस सहायक को आरोप मुक्त कर दिया था।