प्रिस हत्याकांड : सीबीआइ ने गूगल मुख्यालय से भी हासिल की जानकारी
प्रिस की हत्या मामले में आरोपित भोलू के ऊपर सीबीआइ का शिकंजा और अधिक कसता जा रहा है।
आदित्य राज, गुरुग्राम
प्रिस की हत्या मामले में आरोपित भोलू के ऊपर सीबीआइ का शिकंजा और अधिक कसता जा रहा है। जांच के मुताबिक किस प्रकार से हत्या की जाए, किस तरह सबूत मिटा सकते हैं ताकि किसी को पता न चले, इस बारे में आरोपित ने इंटरनेट पर काफी खोजबीन की थी। इसे कंफर्म करने के लिए सर्च हिस्ट्री (खोज इतिहास) के बारे में सीबीआइ ने गूगल मुख्यालय से पूरी जानकारी हासिल कर ली है।
सोहना रोड स्थित एक नामी विद्यालय में दूसरी कक्षा के छात्र प्रिस (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) की हत्या आठ सितंबर 2016 को विद्यालय के ही बाथरूम में कर दी गई थी। आरोपित के रूप में सीबीआइ ने विद्यालय के ही छात्र भोलू (बाल सत्र न्यायालय द्वारा दिया गया नाम) को गिरफ्तार कर रखा है। उसके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है। वह फिलहाल करनाल विशेष बाल सुधार गृह में है। आरोपित को वयस्क के दायरे में रखा जाए या फिर नाबालिग के दायरे में, इस बारे में अगले महीने 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। बताया जाता है कि आरोपित को गिरफ्तार करने से पहले सीबीआइ ने उसके कंप्यूटर की जांच की थी। जांच में जानकारी सामने आई थी कि हत्याकांड को अंजाम देने से पहले उसने इंटरनेट पर काफी सर्च किया था। पता किया था कि किस प्रकार से हत्या की जाए जिससे कि खुद का बचाव हो जाए। यही वजह थी कि हत्या के बाद कुछ दिनों तक आरोपित की पहचान नहीं हो सकी थी। गुरुग्राम पुलिस ने मौके पर मौजूद बस सहायक अशोक को ही आरोपित मानते हुए गिरफ्तार कर लिया था। जब जांच सीबीआइ को सौंपी गई फिर असली आरोपित की पहचान हुई और अशोक को निर्दोष ठहरा दिया गया।
सूत्र बताते हैं कि आरोपित ने प्रिस की हत्या की थी, इस बारे में सबूतों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सीबीआइ ने गूगल मुख्यालय से संपर्क किया। वहां से आरोपित ने इंटरनेट पर क्या-क्या सर्च किए थे, पूरी जानकारी अमेरिका स्थित गूगल मुख्यालय से हासिल कर ली है। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले बचाव पक्ष ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में अर्जी लगाई थी कि गूगल मुख्यालय से हासिल जानकारी के साथ सीबीआइ छेड़छाड़ कर सकती है लेकिन बोर्ड ने अर्जी को खारिज कर दिया।
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गूगल मुख्यालय से पूरी जानकारी सीबीआइ द्वारा हासिल करने के बाद साफ हो चुका है आरोपित ने हत्याकांड को अंजाम देने से पहले इंटरनेट पर काफी सर्च किया था। ऐसी स्थिति में उसे वयस्क के दायरे में ही रखना उचित होगा। इसी विषय पर 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।
--- सुशील टेकरीवाल, पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता