जागरण लाइव: पेंशन के लिए तीन महीने से डाकघर के चक्कर लगा रहे बुजुर्ग
दिन मंगलवार सुबह के 11 बजे हैं। स्थान पुरानी तहसील के भवन में बना सोहना का डाकघर। शहर के बुजुर्गों का डाकघर के सामने जमावड़ा लगा है। कोई लाइन में लगा है तो तो कोई घंटों इंतजार के बाद थक हारकर जमीन पर ही लेट गया। वहीं कई बुजुर्ग चिलचिलाती धूप से बचने के लिए पेड़ की छांव में सहारा लिए दिख रहे हैं।
सतीश राघव, सोहना
दिन मंगलवार सुबह के 11 बजे हैं। स्थान : पुरानी तहसील के भवन में बना सोहना का डाकघर। शहर के बुजुर्गो का डाकघर के सामने जमावड़ा लगा है। कोई लाइन में लगा है तो कोई घंटों इंतजार के बाद थक हारकर जमीन पर ही लेट गया। वहीं कई बुजुर्ग चिलचिलाती धूप से बचने के लिए पेड़ की छांव में सहारा लिए दिख रहे हैं। अधिकतर बुजुर्गों का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं दिख रहा। बस पेंशन मिलने की उम्मीद में सभी इंतजार कर रहे हैं। डाकघर में बुजुर्गों का जमावड़ा देखकर मैं वहां पहुंचा तो पता चला कि पिछले कई दिनों से डाकघर का सर्वर डाउन है। कंप्यूटर नहीं चल पा रहे, जिससे बुजुर्गों को पेंशन नहीं मिल पा रही है। इस दौरान मैंने एक बुजुर्ग से पूछ लिया कि यहां इस तरह भीड़ क्यों हैं तो वह तिलमिला गए कि एक तो गर्मी से बेहाल हैं और दूसरे डाकघर कर्मचारियों की नाकामी की वजह से पेंशन नहीं मिल पा रही है। तीन महीने से पेंशन लेने आते हैं, लेकिन यूं ही घंटों लाइन में लगकर वापस जाना पड़ता है। कारण, पूछने पर एक ही जबाब मिलता है कि सर्वर डाउन है, ठीक होगा तब आना। पहले वार्ड में ही पार्षद बुढ़ापा पेंशन देने आते थे। गांव में सरपंच के यहां मिल जाती थी।
-रामलाल इस सरकार में सब सिस्टम फेल नजर आ रहा है। वोट तो मांग रहे हैं पर इन हालातों में किस तरह वोट दें जब सुविधा ही नहीं मिल रही। कोई न कोई कमी बताकर टरका दिया जाता है। पता नहीं सर्वर कब ठीक होगा।
-बाबूलाल तीन घंटे से डाकघर के सामने बैठी हूं, लेकिन अभी पेंशन मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। एक तो इतनी गर्मी है और दूसरे डाकघर की लचर व्यवस्था ने परेशान करके रख दिया है।
-शांति मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है। तीन महीने से बुढ़ापा पेंशन नहीं मिली। लकवा मारने की वजह से रोज-रोज यहां आना मुमकिन नहीं है। डाकघर कर्मचारियों से हमेशा एक ही जवाब मिलता है कि सर्वर डाउन है।
-जयदेव बुढ़ापा पेंशन दी जा रही है। पीछे से ही सर्वर डाउन हो जाने पर दिक्कत हो जाती है। पेंशन लेने एक साथ सभी बुजुर्ग पहुंच जाते है, जिससे अव्यवस्था बन जाती है। बुजुर्गों का पूरा ख्याल रखा जाता है।
-पोस्टमास्टर अमित
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