सिरे नहीं चढ़ी ई-रिक्शा चलाने की योजना
शहर में ई-रिक्शा चलाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। नगर निगम ने सितंबर 2020 में ई-रिक्शा के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी लेकिन पांच माह बाद भी ई-रिक्शा सड़कों पर नहीं दौड़े हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : शहर में ई-रिक्शा चलाने की योजना सिरे नहीं चढ़ पा रही है। नगर निगम ने सितंबर 2020 में ई-रिक्शा के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन पांच माह बाद भी ई-रिक्शा सड़कों पर नहीं दौड़े हैं। नतीजन, आटो रिक्शा के कारण साइबर सिटी में प्रदूषण फैल रहा है। ई-रिक्शा चलने के दौरान किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है और ये बैट्री से चलते हैं।
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक ई-रिक्शा के लिए दोबारा टेंडर लगाया जाएगा। डीजल आटो रिक्शा के कारण सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। शहर में लगभग बीस हजार से ज्यादा आटो रिक्शा चल रहे हैं। सड़कों पर ट्रैफिक जाम के साथ ही इनके कारण प्रदूषण में भी इजाफा हो रहा है।
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पब्लिक ट्रांसपोर्ट की है कमी
शहर में जीएमसीबीएल की सिटी बसों के अलावा सबसे ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूप में आटो रिक्शा का ही इस्तेमाल हो रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों और उद्योगों का हब होने के कारण शहर में लाखों लोग शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में सफर करते हैं। ई-रिक्शा का किराया भी काफी कम होगा। इनके संचालन से लोगों की जेब पर भी बोझ नहीं बढ़ेगा। शहर में कुल दो हजार रिक्शा चलाए जाने हैं, जिनके लिए रूट तय किए जाएंगे। टेंडर होने के बाद किसी निजी एजेंसी को यह काम सौंपा जा सकता है।
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सब्सिडी भी दी जाएगी
ई-रिक्शा का किराया नगर निगम या मुख्यालय द्वारा किया जाएगा। ई-रिक्शा चलाने के लिए नगर निगम द्वारा सब्सिडी भी दी जाएगी। निगम अधिकारियों के मुताबिक ई-रिक्शा को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक रिक्शे पर 30 हजार रुपये की सब्सिडी देने की योजना है।