स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध में मुख्यमंत्री के नाम दिया ज्ञापन
स्मार्ट मीटर लगाए जाने को लेकर बिजली उपभोक्ताओं का गुस्सा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। जन अधिकार संगठन के तत्वावधान में मंगलवार को लोगों ने स्मार्ट मीटर के विरोध में मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को सौंपा। ज्ञापन में लोगों ने 11 मांगें रखी हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: स्मार्ट मीटर लगाए जाने को लेकर बिजली उपभोक्ताओं का गुस्सा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। जन अधिकार संगठन के तत्वावधान में मंगलवार को लोगों ने स्मार्ट मीटर के विरोध में मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को सौंपा। ज्ञापन में लोगों ने 11 मांगें रखी हैं। ज्ञापन उपायुक्त के प्रतिनिधि के रूप में नायब तहसीलदार सुशील कुमार ने लिया। उपभोक्ता पंचायत भवन में एकत्रित होकर लोग जुलूस के रूप में मिनी सचिवालय पहुंचे। इस दौरान लोगों ने बिजली निगम अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी की।
जन अधिकार संगठन के अध्यक्ष बीर सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर किसी भी सूरत में नहीं लगने दी जाएंगे।इस दौर में जहां लोग बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं, ऐसे में बिजली निगम ने उपभोक्ताओं पर भारी-भरकम बिल का बोझ लादकर परेशानी में डाल दिया है।
रविवार को न्यू पालम विहार क्षेत्र में एक पंचायत कर लोगों ने मंगलवार को मुख्यमंत्री के नाम स्मार्ट मीटर के विरोध में ज्ञापन देने का फैसला लिया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सुबह 10 बजे लोग पंचायत भवन में एकत्रित होने लगे। पंचायत भवन में एकत्रित होकर लोग जुलूस के रूप में नारेबाजी करते हुए मिनी सचिवालय पहुंचे।
उपायुक्त को ज्ञापन देने वालों में जन अधिकार संगठन के अध्यक्ष बीर सिंह, साईं कुंज आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष राकेश राणा, साहिब कुंज आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष कुलदीप दहिया, वेटनरी आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष मेजर आरके राव, न्यू पालम विहार आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष रामहेर शर्मा के नेतृत्व में सभी कालोनियों व बजघेड़ा, बाबूपुर, जहाजगढ़, सराय अलावर्दी, गुप्ता कालोनी के अलावा आसपास की कई कालोनियों के लोग शामिल रहे। ज्ञापन में रखी हैं यह मांगें
- नए लगाए जा रहे स्मार्ट मीटर सामान्य मीटर के मुकाबले काफी तेज चलते हैं। इनको लगाने की प्रक्रिया को तुरंत बंद करना चाहिए।
- स्मार्ट मीटर लगने के बाद उपभोक्ताओं के आए भारी भरकम बिलों को माफ किया जाए।
- बिजली का लोड बढ़ने पर स्मार्ट मीटर की रीडिग क्षमता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इसकी भी जांच कराई जाए।
- लाकडाउन के दौरान के 3 महीने के बिजली उपभोक्ताओं के बिलों को माफ किया जाए।
- हर 3 से 4 साल में मीटर बदलने की प्रक्रिया में भार उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है। पहले लगे हुए मीटर ठीक-ठाक चल रहे हैं तो अब इन स्मार्ट मीटर को लगाने की क्या आवश्यकता है।
- जिन उपभोक्ताओं ने लाकडाउन के दौरान बिल जमा करा दिए। उनके भी बिल माफ कर अगले बिलों में समायोजित किए जाए।
- बिजली के बिलों की गणना 2 महीने की रीडिग के आधार पर की जाती है। इसको मासिक गणना के आधार पर किया जाए।
- केंद्र सरकार ने लाकडाउन में बिजली खपत कम होने की दलील देकर बिजली निगमों को 90 हजार करोड़ का अनुदान दिया है। इस अनुदान राशि में से उपभोक्ताओं के बिलों में भी छूट का हिस्सा मिलना चाहिए।