वन क्षेत्र में बने 30 फार्म हाउसों के गेट पर नोटिस चस्पा
अरावली के वन क्षेत्र में बनाए गए फार्म हाउसों का सर्वे तेजी से चल रहा है। सर्वे के साथ-साथ फार्म हाउसों के गेट पर नोटिस चस्पा करने का काम भी शुरू कर दिया गया है
आदित्य राज, गुरुग्राम
अरावली के वन क्षेत्र में बनाए गए फार्म हाउसों का सर्वे तेजी से चल रहा है। सर्वे के साथ-साथ फार्म हाउसों के गेट पर नोटिस चस्पा करने का काम भी शुरू कर दिया गया है, जिसका जवाब सात दिन के अंदर देना होगा। इससे पता चल सकेगा कि फार्म हाउस किसके नाम है, कब जमीन खरीदी गई, किससे खरीदी गई, किस आधार पर फार्म हाउस बनाया गया, बनाने से पहले क्या अनुमति ली गई थी आदि। इस महीने के अंत तक सर्वे पूरा कर सभी फार्म हाउसों पर नोटिस चस्पा करने का लक्ष्य रखा गया है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अरावली पहाड़ी क्षेत्र में वन भूमि पर बने सभी फार्म हाउसों को अगले छह महीने के भीतर ध्वस्त करने का आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि इलाके को फिर से पुरानी स्थिति में लाया जाए। बताया जाता है कि काफी हद तक जानकारी हासिल हो चुकी है।
अब फार्म हाउसों के गेट पर नोटिस चस्पा कर इनके मालिकों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया जा रहा है। फार्म हाउसों को ध्वस्त करने से पहले उनका पक्ष सुनना आवश्यक है ताकि किसी भी स्तर पर चूक न रहे। एक अनुमान के मुताबिक अरावली पहाड़ी क्षेत्र में 2000 से अधिक फार्म हाउस बने हुए हैं। आज की जाएगी समीक्षा
फार्म हाउसों के सर्वे की समीक्षा 18 सितंबर को की जाएगी। सर्वे कहां तक पहुंचा, कितने फार्म हाउसों के गेट पर नोटिस चस्पा दिए गए हैं, कितने फार्म हाउस के बारे में पूरी जानकारी हासिल हो चुकी है, आदि जानकारी समीक्षा बैठक से सामने आएगी। इसके लिए वन विभाग के रेंज ऑफिसर ने अपनी ओर से तैयारी तेज कर दी है। सर्वे काफी तेजी से चल रहा है। कुछ फार्म हाउसों के गेट पर नोटिस भी चस्पा कर दिए गए हैं। नोटिस चस्पा करना भी आवश्यक है, ताकि कोई यह न कहे कि उन्हें पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। एनजीटी ने जो आदेश जारी कर रखा है, उसके मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
जय कुमार, मंडल वन अधिकारी, गुरुग्राम बहुत ही हैरानी की बात है कि वन विभाग के अधिकारियों को पता ही नहीं है कि वन भूमि पर कितने फार्म हाउस बने हुए हैं। कई साल पहले भी सर्वे किया गया था। उसी की रिपोर्ट निकाल लें। काफी जानकारी मिल जाएगी। सर्वे के नाम पर समय बर्बाद न किया जाए।
डॉ. आरपी बालवान, पर्यावरण कार्यकर्ता व सेवानिवृत्त वन संरक्षक