एसडीओ और एक्सईएन को मुख्यालय से मिल गई थी क्लीनचिट
पार्षदों के फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र लगाकर भुगतान करवाने के प्रयास के आरोपों में भले ही निगम की इंजीनियरिग विग के अधिकारी घिर गए हों लेकिन गत 22 फरवरी को अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एसडीओ विक्की कुमार और एक्सईएन गोपाल कलावत को क्लीनचिट दे दी थी।
संदीप रतन, गुरुग्राम
पार्षदों के फर्जी संतुष्टि प्रमाण पत्र लगाकर भुगतान करवाने के प्रयास के आरोपों में भले ही निगम की इंजीनियरिग विग के अधिकारी घिर गए हों, लेकिन गत 22 फरवरी को अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एसडीओ विक्की कुमार और एक्सईएन गोपाल कलावत को क्लीनचिट दे दी थी। नवंबर 2020 में इस मामले में जांच के लिए अधिकारियों और पार्षदों के ब्यान दर्ज किए गए थे। लेकिन निगम की लेखा शाखा की ओर से यह भी रिपोर्ट दी गई थी कि इसमें किसी भी तरह का भुगतान नहीं किया गया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से जारी किए गए पत्र में दोनों को भविष्य में सावधानी बरतने की चेतावनी देने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद मामला शांत हो गया था। बता दें कि 22 जुलाई को प्रदेश के गृह एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने गुरुग्राम नगर निगम का औचक निरीक्षण किया था। कुछ पार्षदों ने फर्जी प्रमाण पत्र मामले को मंत्री अनिल विज के सामने रखा और मंत्री ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिए थे।
इसके अगले दिन नगर निगम के मुख्य अभियंता ठाकुर लाल शर्मा की शिकायत पर जेई विनोद कुमार, एसडीओ विक्की कुमार, एक्सईएन गोपाल कलावत, पंकज सैनी और ठेकेदार दिलावर सिंह, राजकुमार और पवन बल्हारा के खिलाफ सदर थाना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। क्या इन मामलों की भी जांच होगी मंत्री जी ?
- गत वर्ष बजघेड़ा गांव में सड़क बनाए बिना ही ठेकेदार को 1.67 करोड़ रुपये का भुगतान नगर निगम की ओर से कर दिया गया था। मामला उजागर होने के बाद निगम अधिकारियों ने ठेकेदार से यह राशि वापस निगम के खाते में जमा करवा ली। लेकिन मामले में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
- जुलाई-अगस्त 2020 से फरवरी 2021 के बीच नगर निगम के फिक्सड डिपाजिट यानी एफडी को तोड़कर 300 करोड़ रुपये खर्च कर निगम का खजाना खाली कर दिया गया। क्या इस दौरान हुए भुगतानों की जांच होगी ?
- बागवानी का कार्य कर रही हिमकान कंपनी को किए गए भुगतान व कार्यों के संबंध में मेयर मधु आजाद भी शिकायत भेज चुकी है, लेकिन कार्रवाई का इंतजार है।
- पुराने गुरुग्राम की कई अवैध कालोनियों में नगर निगम द्वारा विकास कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च कर खजाने को नुकसान पहुंचाया गया है।
- मलबा उठाने के नाम पर दो निजी एजेंसियों को 50 करोड़ का भुगतान हो चुका है, जबकि शहर में मलबे के पहाड़ जगह-जगह बने हुए हैं।
- स्ट्रीट वेंडिग प्रोजेक्ट में धांधली कर साढ़े सात करोड़ का चूना नगर निगम को लगाया जा चुका है। कार्रवाई सिर्फ फाइलों में ही सिमटी हुई है।